खेती पर मंडरा रहा खतरा, नये रोगों की आहट, राज्यों को किया आगाह

बांग्लादेश की सीमा पर व्हीट ब्लॉस्ट जैसे फंगल रोग ने गेहूं की फसल के लिए नये खतरे के रूप में दस्तक दे रहा है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Sun, 23 Sep 2018 07:17 PM (IST) Updated:Sun, 23 Sep 2018 07:17 PM (IST)
खेती पर मंडरा रहा खतरा, नये रोगों की आहट, राज्यों को किया आगाह
खेती पर मंडरा रहा खतरा, नये रोगों की आहट, राज्यों को किया आगाह

सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। देश की खेती पर खतरे के बादल छाने लगे हैं, जो खाद्य सुरक्षा के लिए मुश्किलें पैदा कर सकते हैं। सीमा पार से आने वाली फसलों की बीमारियों ने कृषि वैज्ञानिकों व नीति नियामकों के होश उड़ा दिये हैं। इसके साथ ही फसलों पर लगने वाले पुराने रोग भी रूप बदलकर ज्यादा घातक हो गये हैं। खेती के लिए पैदा हुई इन गंभीर चुनौतियों से निपटने के लिए रबी सीजन के तैयारी सम्मेलन में सभी राज्यों को जूझने के लिए आगाह कर दिया गया है।

विभिन्न बीमारियों व गैर जरूरी खरपतवार से फसलों को सालाना 15 से 20 फीसद तक का नुकसान पहुंचता है। इन पर काबू पाकर किसानों की आमदनी को बढ़ाया जा सकता है। सरकार और वैज्ञानिक इस दिशा में जुटे हुए हैं, लेकिन कुछ नई बीमारियों ने कृषि क्षेत्र की चिंताएं बढ़ा दी हैं।

खेती के समक्ष पैदा हुई इन समस्याओं से निपटने को लेकर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) अपनी रिपोर्ट के आधार पर सभी राज्यों को समय से अलर्ट करता रहा है। उन्हें इन रोगों के समाधान के उपाय भी दिया गया है।

अक्टूबर से शुरु हो रही रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं में येलो रस्ट व करनाल बंट जैसी घातक बीमारी पहले से ही लगती रही है। कुछ वैज्ञानिक उपायों से इस घातक होती जा रही बीमारी को सीमित कर दिया गया है। लेकिन अब यही ब्लैक रस्ट और ऑरेंज रस्ट के रुप में भी खुद को परिवर्तित कर लिया है।

सीमा पार से आने वाली बीमारियों को लेकर बढ़ाई गई सतर्कता

दूसरी ओर, बांग्लादेश की सीमा पर व्हीट ब्लॉस्ट जैसे फंगल रोग ने गेहूं की फसल के लिए नये खतरे के रूप में दस्तक दे रहा है। इससे निपटने की तैयारियां लगातार जारी हैं। बांग्लादेश की सीमा से लगे क्षेत्रों में गेहूं की खेती पर सख्त पाबंदी लगा दी गई है।

प्रभावित किसानों को जहां क्षतिपूर्ति के रूप में नगदी का भुगतान किया गया है, वहीं उन्हें वैकल्पिक खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। सबसे बड़ा खतरा यह है कि अगर यह फंगस भारत में पहुंच गया तो जहां गेहूं की फसल को तो नुकसान करेगा ही, साथ में गेहूं के निर्यात पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लग सकता है।

कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में 'फाल आर्मी वॉर्म' का हमला हो चुका है। इसे लेकर इन राज्यों को आईसीएआर ने सतर्क कर दिया है। मक्के की फसल में लगने वाली यह बीमारी 20 से 25 दिनों खड़ी फसल को खत्म कर देते हैं। कर्नाटक के आठ जिलों में इस रोग के कीटाणु फैल चुके हैं। अमेरिका से यहां पहुंचे इस कीट पर काबू पाने के उपाय किये जा रहे हैं। देश में लगभग दो करोड़ टन मक्के की पैदावार होती है।

कपास, तूर, चना और सूरजमुखी की खेती वाल वार्म जैसे रोग से प्रभावित रहती है, तो उकठा (रुट बोरर) रोग से गन्ना औ मक्के की खेती को भारी नुकसान होता है।

फसलों में लगने वाली इन बीमारियों को लेकर राष्ट्रीय सम्मेलन में संबंधित राज्यों को उपाय सुझाये गये। विशेषकर रबी की बुवाई से पहले बीजों के उपचार पर सबसे ज्यादा जोर दिया जाए।

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