माता-पिता का ध्यान नहीं रखा तो होगी जेल, लोकसभा में पेश हुआ विधेयक
विधेयक में दुर्व्यवहार को परिभाषित किया गया है जिसमें शारीरिक मौखिक भावनात्मक और आर्थिक दुर्व्यवहार के साथ-साथ अनदेखी और उन्हें उनके हाल पर अकेला छोड़ना शामिल है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। लोकसभा में बुधवार को 'माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण एवं कल्याण (संशोधन) विधेयक-2019' पेश किया गया। इसमें माता-पिता या अपने संरक्षण वाले वरिष्ठ नागरिकों के साथ जानबूझकर दुर्व्यवहार करने या उन्हें उनके हाल पर अकेला छोड़ देने वालों के लिए छह महीने के कारावास या 10 हजार रुपये जुर्माना या दोनों का प्रावधान किया गया है।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने निचने सदन में उक्त विधेयक पेश किया। इसमें वृद्धाश्रमों और उसके जैसी सभी संस्थाओं के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया गया है। साथ ही उन्हें न्यूनतम मानकों का पालन भी करना होगा।
'दुर्व्यवहार' में अनदेखी भी शामिल
विधेयक में 'दुर्व्यवहार' को परिभाषित किया गया है जिसमें शारीरिक, मौखिक, भावनात्मक और आर्थिक दुर्व्यवहार के साथ-साथ अनदेखी और उन्हें उनके हाल पर अकेला छोड़ना शामिल है। इसके अलावा हमला करना, चोट पहुंचाना और शारीरिक या मानसिक कष्ट देना भी दुर्व्यवहार में शामिल है।
'बच्चों' में दामाद व बहू भी
विधेयक में माता-पिता या वरिष्ठ नागरिकों के 'बच्चों' से आशय उनके पुत्र या पुत्री (जैविक, दत्तक या सौतेले), दामाद, बहू, पोते, पोती और नाबालिग बच्चों के कानूनी अभिभावक शामिल हैं।
ट्रिब्यूनल 90 दिनों में करेगा निपटारा
वरिष्ठ नागरिकों के भरण पोषण और सहायता के दावे दाखिल करने के लिए एक ट्रिब्यूनल की स्थापना का प्रावधान भी किया गया है। 80 साल से ज्यादा के वरिष्ठ नागरिकों के दावों का निपटारा 60 दिन के भीतर किया जाएगा। सिर्फ अवपाद वाले मामलों में यह अवधि केवल एक बार अधिकतम 30 दिन के लिए बढ़ाई जा सकेगी। लेकिन इसके लिए ट्रिब्यूनल को कारण लिखित में दर्ज करना होगा। 80 साल से कम के वरिष्ठ नागरिकों के दावों का निपटारा ट्रिब्यूनल को 90 दिनों के भीतर करना होगा।
प्रत्येक थाने में नोडल अधिकारी
माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों से जुड़े मामलों के लिए हर पुलिस थाने में एक नोडल अधिकारी तैनात होगा जो एएसआइ रैंक से नीचे का नहीं होगा। साथ ही हर जिले में वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण के लिए एक विशेष पुलिस इकाई होगी जिसका प्रमुख कम से कम डीएसपी रैंक का अधिकारी होगा।
हर राज्य में भरण पोषण अधिकारी
भरण पोषण आदेश के क्रियान्वयन के लिए राज्य सरकार एक भरण पोषण अधिकारी नियुक्त करेगी। माता-पिता या वरिष्ठ नागरिकों के लिए उक्त अधिकारी समन्वयक के तौर पर कार्य करेगा। आवश्यकता पड़ने पर ट्रिब्यूनल भरण पोषण का मामला मध्यस्थता अधिकारी को संदर्भित कर सकेगा और उक्त अधिकारी को अपने नामांकन के 15 दिनों के भीतर अपनी सिफारिशें दाखिल करनी होंगी। भरण पोषण राशि का निर्धारण करते समय ट्रिब्यूनल माता-पिता या वरिष्ठ नागरिक के जीवन स्तर और उनकी आय या उनके बच्चों या संबंधियों की आय पर विचार कर सकता है।
भरण पोषण राशि नहीं देने पर जुर्माना
ट्रिब्यूनल को माता-पिता या वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण नहीं करने वालों पर जुर्माना लगाने का अधिकार भी होगा। अगर उन्होंने जुर्माना अदा नहीं किया तो उन्हें राशि अदा करने तक या अधिकतम एक माह के कारावास की सजा दी जा सकेगी।
हर प्रदेश में हेल्पलाइन नंबर
विधेयक में सरकार को यह सुनिश्चित करने का अधिकार दिया गया है कि हर सरकारी और निजी अस्पताल में वरिष्ठ नागरिकों के लिए बेड आरक्षित हो और आउटडोर में उनके लिए अलग पंक्ति की व्यवस्था हो। साथ ही हर राज्य में वरिष्ठ नागरिकों की समस्याओं के लिए अलग से एक हेल्पलाइन नंबर होगा।