देश में टीकाकरण और कोविड प्रोटोकाल का कड़ाई से पालन करने से टल सकती है तीसरी लहर

पहला टीका जिस कंपनी का लगवाया जाए दूसरा टीका भी उसी कंपनी का लगवाना चाहिए। वैज्ञानिक मिश्रित टीके को लेकर शोध कर रहे हैं लेकिन फिलहाल अगर पहला टीका कोवैक्सीन का लगवा रहे हैं तो दूसरा टीका भी कोवैक्सीन का ही लगवाएं।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Fri, 14 May 2021 09:01 PM (IST) Updated:Fri, 14 May 2021 09:01 PM (IST)
देश में टीकाकरण और कोविड प्रोटोकाल का कड़ाई से पालन करने से टल सकती है तीसरी लहर
टीकाकरण और कोविड प्रोटोकाल पालन से जीतेंगे लड़ाई।

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। देश में कोविड-19 वायरस के संक्रमण की दूसरी लहर के बीच इसकी तीसरी लहर की चर्चा ने लोगों को चिंतित और आशंकित कर रखा है। विशेषज्ञों की मानें तो अगर हम टीकाकरण और कोविड प्रोटोकाल का कड़ाई से पालन करें तो न सिर्फ तीसरी लहर को टाल सकते हैं, बल्कि पहले की तरह जिंदगी भी जी सकते हैं। तीसरी लहर के अलावा कोरोना से जुड़े कई दूसरे प्रश्न भी हम सबके मन में उठ रहे हैं। जागरण डाॅट काम ने कोविड पर नेशनल टास्क फोर्स के आपरेशंस रिसर्च ग्रुप के चेयरपर्सन डाॅ. एनके अरोड़ा और इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) के एपिडिमियोलाजी एंड कम्युनिकेबल डिजीज डिविजन के डाॅ. समीरन पांडा से इन सारे सवालों पर विस्तार से बातचीत की। आइए जानते हैं इनके जवाब।

कोविड-19 के लिए टीकाकरण क्यों जरूरी है?

टीकाकरण वायरस या बैक्टीरिया के खिलाफ लड़ाई में शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता पैदा करने में मदद करता है। हम चार वजहों से टीकाकरण करते हैं। पहली, शरीर में कोई गंभीर बीमारी न हो। दूसरी, असमय मौत न हो और तीसरी, हमसे कोई दूसरा व्यक्ति संक्रमित न हो। इसका चौथा कारण शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करना है। अभी तक की वैक्सीन गंभीर बीमारी की संभावना को कम कर देती हैं। असमय मृत्यु को कम कर देती हैं। हालांकि एक-दूसरे से संक्रमण रोकने में कोई भी टीका सक्षम नहीं है।

टीके की दूसरी डोज लेने की क्या जरूरत है?

यह बहुत अहम सवाल है। आप जो टीका लगवा रहे हैं वह वायरस का एक रूप है। हालांकि, यह बीमारी नहीं फैला सकता है, क्योंकि यह निष्कि्रय रूप में या मृत अवस्था में होता है। इन्हें एंटीजन कहा जाता है। टीके का दूसरा डोज बूस्टर का काम करता है। टीके के दो डोज के दो या तीन हफ्ते बाद शरीर में पूरी तरह से एंटीबाडी बन जाती हैं। उसके बाद जब वायरस शरीर के अंदर आते हैं, तो शरीर की प्रतिरोधक प्रणाली उसे तुरंत पहचान लेती है।

क्या कोवैक्सीन के बाद कोविशील्ड का टीका लगवाया जा सकता है?

पहला टीका जिस कंपनी का लगवाया जाए, दूसरा टीका भी उसी कंपनी का लगवाना चाहिए। वैज्ञानिक मिश्रित टीके को लेकर शोध कर रहे हैं, लेकिन फिलहाल अगर पहला टीका कोवैक्सीन का लगवा रहे हैं तो दूसरा टीका भी कोवैक्सीन का ही लगवाएं।

कोवैक्सीन के ज्यादा प्रभावी होने की धारण कितनी सही है?

लोगों को इस तरह से नहीं सोचना चाहिए। कोवैक्सीन या कोविशील्ड में से जो भी टीका मिल रहा है, वह लगवा लेना चाहिए। साइड इफेक्ट किसी भी वैक्सीन में हो सकता है। दूसरी लहर चल रही है और अगर तीसरी लहर को रोकना है तो दुविधा में मत रहिए और वैक्सीन लगवाइए।

क्या भारत में पाया जाने वाला डबल म्यूटेंट ज्यादा खतरनाक है?

कोई भी वायरस समय-समय पर अपना स्वरूप बदलता रहता है ताकि हमारा शरीर उसे पहचान न सके। इसे ही म्यूटेशन कहते हैं। आरएनए आधारित वायरस 10-15 बार अपना स्वरूप बदलता है। पिछली बार सार्स आया था और दो से तीन महीने में खत्म हो गया था, क्योंकि वो खुद को म्यूटेट नहीं कर पाया, लेकिन कोविड-19 खुद को म्यूटेट कर रहा है। पहले वायरस का म्यूटेशन ब्रिटेन, फिर ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका में हुआ। जहां म्यूटेशन होता है, उसके हिसाब से उसका नाम रखा जाता है। भारत वाले म्यूटेशन को बी. 1617 भी कहते हैं। यह काफी तेजी से फैल रहा है।

क्या कोविशील्ड और कोवैक्सीन डबल म्यूटेंट से लड़ने में सक्षम है?

शोध बताते हैं कि कोविशील्ड और कोवैक्सीन डबल म्यूटेंट के खिलाफ लड़ने में सक्षम हैं। वैक्सीन शरीर में वायरस के खिलाफ लड़ने की ताकत को बढ़ाती हैं। यह दोनों वैक्सीन शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाती हैं। इससे वायरस कम नुकसान पहुंचाता है।

क्या वैक्सीन लगवाने के तुरंत बाद शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है?

मौजूद वक्त में हर तीन में से एक या डेढ़ लोग पाजिटिव होते हैं। मतलब करीब 33 फीसदी लोग पाजिटिव होते हैं। अगर आप सभी लोगों का टेस्ट करेंगे तो देखेंगे कि वो पाजिटिव हैं, लेकिन कोविड-19 के लक्षण नहीं दिखते हैं। ऐसे लोगों को वैक्सीन लगवाने के तीन से चार दिन बाद कोरोना हो जाता है तो इसका कारण वैक्सीन नहीं है। ऐसे में वैक्सीन लगवाने के तुरंत बाद शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने की खबर गलत है।

इस महामारी को लेकर वायरल हो रहीं फेक न्यूज से कैसे बच सकते हैं?

इंटरनेट मीडिया पर जो जानकारी आपको मिल रही है, उसकी एक बार छानबीन जरूर करें। इसके अलावा सरकारी संस्थानों और मंत्रालयों की ओर से कही जा रही बातों पर गौर करें या उनकी वेबसाइट पर दी गई जानकारी को ही फालो करें। आप प्रामाणिक वेबसाइट से ही जानकारी लीजिए। गलत सूचना से गलतफहमियां फैलती हैं। 

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