तीसरा ट्रायल: कोवैक्सीन डबल म्यूटेंट और कोरोना संक्रमण को मारक बनने से रोकने में 100 फीसद कारगर
संकट की घड़ी में उम्मीद की एक किरण भी काफी आस बंधाती है। इसी तरह की आस कोरोना महामारी की रोकथाम में इस्तेमाल हो रही वैक्सीन कोवैक्सीन के तीसरे ट्रायल की रिपोर्ट भारत बायोटेक और आइसीएमआर से मिली है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। संकट की घड़ी में उम्मीद की एक किरण भी काफी आस बंधाती है। इसी तरह की आस कोरोना महामारी की रोकथाम में इस्तेमाल हो रही वैक्सीन कोवैक्सीन के तीसरे ट्रायल की रिपोर्ट से मिली है। भारत बायोटेक और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) ने कोवैक्सीन के तीसरे ट्रायल की रिपोर्ट बुधवार को जारी की है।
भारत बायोटेक, आइसीएमआर की रिपोर्ट: कोवैक्सीन का तीसरा ट्रायल, 78 फीसद कारगर
रिपोर्ट में बताया गया है कि इसका क्लीनिकल प्रभाव तो 78 फीसद है, लेकिन कोविड को खतरनाक रूप लेने से रोकने में यह सौ फीसद कारगर है। यानी कोविड संक्रमण के शुरुआती या सीमित दौर में यह 78 फीसद तक कारगर है लेकिन इस वैक्सीन के सारे डोज लेने वाले इसकी गंभीर चपेट में नहीं आते हैं और उनकी मौत नहीं होती है। यही नहीं अस्पताल में भर्ती कराने की नौबत भी कम आती है।
भारत बायोटेक और आइसीएमआर: तीसरे ट्रायल की विस्तृत रिपोर्ट जून में होगी प्रकाशित
भारत बायोटेक और आइसीएमआर ने बताया है कि तीसरे ट्रायल की विस्तृत रिपोर्ट जून, 2021 में प्रकाशित की जाएगी। इन दोनों की तरफ से एक महत्वपूर्ण जानकारी यह दी गई है कि कोवैक्सीन डबल म्यूटेंट स्ट्रेन के असर को खत्म करने में भी कारगर है। यानी ब्रिटेन और ब्राजील में कोरोना के जो वैरिएंट मिले हैं उनके खिलाफ भी भारतीय कंपनी की यह वैक्सीन सुरक्षा कवच प्रदान करती है। भारत बायोटेक ने आइसीएमआर के साथ मिलकर यह वैक्सीन विकसित की है।
कोरोना के खिलाफ कोवैक्सीन सुरक्षा कवच प्रदान करती है
भारत बायोटेक के चेयरमैन और एमडी कृष्णा इल्ला का कहना है कि एसआरएस-कोव-2 के खिलाफ कोवैक्सीन की क्षमता पूरी तरह से साबित हो चुकी है। यह जबरदस्त सुरक्षा कवच प्रदान करती है और आपातकालीन परिस्थितियों में इस्तेमाल के लिए उपयुक्त है।
कोवैक्सीन: कोरोना संक्रमण का विस्तार होने से रोक रही
साफ है कि यह अस्पताल में भर्ती होने की संभावना को कम करती है और संक्रमण का विस्तार होने से भी रोक रही है। कोवैक्सीन की करोड़ों डोज भारत और दुनिया के दूसरे देशों में भेजी जा चुकी हैं। तकरीबन 60 देशों ने इस वैक्सीन को सुरक्षित मानते हुए खरीदने की इच्छा जताई है। कंपनी अपने हैदराबाद और बंगलोर उत्पादन इकाई की क्षमता बढ़ा रही है ताकि सालाना वैक्सीन की 70 करोड़ डोज तैयार की जा सकें।