देश में फर्टिलाइजर की कोई कमी नहीं, महंगे आयात का बोझ सरकार ने उठाया, सब्सिडी 1.30 लाख करोड़ पर पहुंची

रसायन व उर्वरक मंत्रालय के अनुसार दिसंबर में गेहूं की बोआई के लिए जरूरी फर्टिलाइजर डीएपी और एनपीके की आपूर्ति की जा रही है। प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश उत्तराखंड हरियाणा पंजाब हरियाणा राजस्थान और गुजरात में फर्टिलाइजर की उपलब्धता वहां की मांग के मुकाबले अधिक है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Thu, 09 Dec 2021 08:11 PM (IST) Updated:Thu, 09 Dec 2021 08:11 PM (IST)
देश में फर्टिलाइजर की कोई कमी नहीं, महंगे आयात का बोझ सरकार ने उठाया, सब्सिडी 1.30 लाख करोड़ पर पहुंची
उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान व गुजरात में गेहूं की बोआई तेज

सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। चालू रबी सीजन में वैश्विक किल्लत को देखते हुए देश के कई राज्यों में फर्टिलाइजर के वितरण केंद्रों पर किसानों की भीड़ उमड़ी है। कई जगहों पर भीड़ के नियंत्रण के लिए पुलिस बुलानी पड़ी है। हालांकि आंकड़े बताते हैं कि देश में फर्टिलाइजर की कोई कमी नहीं है। कई राज्यों में तो इसकी उपलब्धता जरूरत से ज्यादा है। इसका मतलब यह है कि वितरण प्रणाली को दुरुस्त कर जमाखोरों से सावधान रहना होगा। वैसे, यह सच है कि वैश्विक बाजार में आपूर्ति घटने और मूल्य बढ़ने से कई देशों में अफरातफरी है। भारत में खेती पर इसके विपरीत असर को रोकने के लिए सरकार ने इसका बोझ किसानों पर डालने के बजाय खुद उठा लिया है। इससे फर्टिलाइजर सब्सिडी में लगभग 60 प्रतिशत की भारी वृद्धि हो गई है।

चालू रबी सीजन में फर्टिलाइजर की उपलब्धता घरेलू मांग मुकाबले पर्याप्त है। राज्यों की फर्टिलाइजर वितरण प्रणाली पर केंद्र सीधी नजर रख रहा है। फर्टिलाइजर आपूर्ति के पैटर्न में पर्याप्त बदलाव किया गया है। इसके तहत फसलों की बोआई के क्रम के अनुसार फर्टिलाइजर की आपूर्ति की जा रही है। रबी सीजन में फर्टिलाइजर का वितरण अक्तूबर से लेकर मार्च तक किया जाता है। चालू रबी सीजन में अब तक अक्तूबर और नवंबर में हुई तिलहन, दलहन और आलू की बोआई के लिए फर्टिलाइजर की कोई किल्लत नहीं हुई है। जिन राज्यों में इन फसलों की बहुलता है, वहां पर्याप्त फर्टिलाइजर आपूर्ति हो गई है। इसी तरह नवंबर के तीसरे सप्ताह से दिसंबर तक की अवधि के लिए गेहूं की बोआई तेज हो चुकी है। इसके लिए डाई अमोनियम फास्फेट (डीएपी), एनपीके और यूरिया समेत अन्य फर्टिलाइजर की आपूर्ति भी बढ़ा दी गई है। आयात वाले बंदरगाहों, ढुलाई के लिए रेलवे रैक की उपलब्धता और फर्टिलाइजर को निर्धारित समय पर गंतव्य तक पहुंचाने की व्यवस्था के साथ केंद्रीय टीम की चौबीस घंटे की सघन निगरानी ने इस चुनौती से निपटने में मदद की है।

यहां ऐसी स्थिति

रसायन व उर्वरक मंत्रालय के अनुसार दिसंबर में गेहूं की बोआई के लिए जरूरी फर्टिलाइजर डीएपी और एनपीके की आपूर्ति की जा रही है। प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात में फर्टिलाइजर की उपलब्धता वहां की मांग के मुकाबले अधिक है। इसमें डीएपी, एनपीके और एमओपी समेत यूरिया भी शामिल है। उत्तर प्रदेश में फर्टिलाइजर की कुल मांग 30 लाख टन है, जबकि राज्य में उपलब्धता 38.45 लाख टन है। इसी तरह हरियाणा में 8.51 लाख टन की जरूरत के मुकाबले 9.23 लाख टन, पंजाब में 14.86 लाख टन की मांग के मुकाबले 14.58 लाख टन, राजस्थान में 11.89 लाख टन के मुकाबले 12.92 लाख टन और गुजरात में 9.07 लाख टन की मांग के मुकाबले 12.67 लाख टन फर्टिलाइजर उपलब्धता है।

वैश्विक आपूर्ति प्रभावित

वैश्विक स्तर पर चीन और रूस जैसे प्रमुख फर्टिलाइजर उत्पादक देशों में उत्पादन में 50 प्रतिशत तक की कटौती की गई है। इसके साथ दोनों देशों से फर्टिलाइजर निर्यात पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए गए हैं। लिहाजा विश्व बाजार में फर्टिलाइजर आपूर्ति प्रभावित हुई है। ज्यादातर देशों में खाद्य सुरक्षा बरकरार रखने के लिए फर्टिलाइजर पर भारी सब्सिडी का प्रविधान किया गया है। सरकार ने इस मसले को बड़ी गंभीरता से लेते हुए सब्सिडी 79,530 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1.30 लाख करोड़ रुपये कर दिया है ताकि घरेलू किसानों की खेती की लागत में वृद्धि न होने पाए।

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