कला और शिल्प शिक्षकों के लिए तय नहीं है न्यूनतम योग्यता, सभी राज्य अपने तरीके से भर्ती के लिए निर्धारित करते हैं योग्यता

स्कूलों में वैसे तो विज्ञान सामाजिक विज्ञान सहित दूसरे सभी विषयों को पढ़ाने वाले शिक्षकों की एक न्यूनतम योग्यता निर्धारित है। लेकिन संगीत कला और शिल्प शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विषयों को पढ़ाने के लिए कोई न्यूनतम योग्यता तय नहीं है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Tue, 12 Oct 2021 09:03 PM (IST) Updated:Tue, 12 Oct 2021 09:03 PM (IST)
कला और शिल्प शिक्षकों के लिए तय नहीं है न्यूनतम योग्यता, सभी राज्य अपने तरीके से भर्ती के लिए निर्धारित करते हैं योग्यता
स्कूलों में संगीत, कला और शिल्प शिक्षा जैसे विषयों को पढ़ाने के लिए कोई न्यूनतम योग्यता तय नहीं है।

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। स्कूलों में वैसे तो विज्ञान, सामाजिक विज्ञान सहित दूसरे सभी विषयों को पढ़ाने वाले शिक्षकों की एक न्यूनतम योग्यता निर्धारित है। लेकिन संगीत, कला और शिल्प शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विषयों को पढ़ाने के लिए कोई न्यूनतम योग्यता तय नहीं है। यह स्थिति तब है, जब स्कूली शिक्षकों की न्यूनतम योग्यता को तय करने वाली एजेंसी एनसीटीई (राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद) खुद बेहतर गुणवत्ता के लिए इसकी जरूरत को महसूस करती है। फिर भी इन मानकों को तय करने का जिम्मा राज्यों पर छोड़े हुए है, जो अलग-अलग तरीके से इसका निर्धारण करते हैं। इन विषयों की पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए यह एक समस्या बनी हुई है।

कला और शिल्प की पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए यह बनी हुई है समस्या

चौंकाने वाली बात है कि स्कूलों में पढ़ाने के लिए एनसीटीई ने वैसे तो शिक्षकों के लिए बीएड (बैचलर इन एजुकेशन) या फिर उसके समकक्ष कोर्स को अनिवार्य कर रखा है। लेकिन कला और शिल्प शिक्षा आदि से जुड़े शिक्षकों पर यह लागू नहीं है। सभी राज्यों में इसके अलग-अलग मानक हैं। हालांकि यह समय-समय पर बनते बिगड़ते रहते हैं। पिछले दिनों उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में इसको लेकर विवाद भी सामने आए, जहां शिक्षकों की भर्ती के लिए बीएड की मांग की गई थी। हालांकि विवाद बढ़ने के बाद इन नियमों को वापस ले लिया गया था। बाद में बीएफए (बैचलर इन फाइन आर्ट) के मानक के आधार पर भर्ती दी गई।

ऐसे शिक्षकों की भर्ती की गाइडलाइन तय करने की मांग

राज्यों में इस तरह के विवादों के बाद ललित कला अकादमी के कार्यवाहक अध्यक्ष ने शिक्षा मंत्री धर्मेद्र प्रधान को पत्र भी लिखा। इसमें बाकी शिक्षकों की तरह कला और शिल्प के शिक्षकों के लिए भी न्यूनतम योग्यता और राज्यों के लिए ऐसे शिक्षकों की भर्ती की गाइडलाइन तय करने की मांग की। कला और शिल्प शिक्षा से जुड़े शिक्षकों के लिए न्यूनतम मानक तय करने की इस मांग ने उस समय तेजी पकड़ी है, जब देश भर में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को लागू करने की मुहिम तेजी से चल रही है।

एनसीटीई जल्द ही इस पर करेगी कोई फैसला

नीति के अमल से जुडे़ अधिकारियों की मानें तो स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए सभी स्तरों पर मानकों का तय होना जरूरी है। एनसीटीई जल्द ही इस पर कोई निर्णय लेगी। गौरतलब है कि एनसीटीई ने वर्ष 2011 में स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों की न्यूनतम योग्यता तय की थी। हालांकि इसे लेकर जारी अधिसूचना में एनसीटीई ने कला शिक्षा, शिल्प शिक्षा और गृह विज्ञान के लिए फिलहाल राज्यों की ओर से निर्धारित पात्रता को ही तब तक अपनाने के लिए कहा था, जब तक ऐसे अध्यापकों के लिए एनसीटीई कोई न्यूनतम पात्रता तय नहीं कर देती है। 11 साल होने को हैं, लेकिन अब तक एनसीटीई ने कोई पात्रता तय नहीं की है। सब कुछ राज्यों के भरोसे ही छोड़ रखा है।

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