भारत में भीषण गर्मी पड़ने का सता रहा खतरा, यूरोप और रूस जैसी हो सकती है स्थिति

जर्नल साइंटिफिक रिपो‌र्ट्स में प्रकाशित इस अध्ययन में कहा गया है कि आने वाले कुछ वर्षो में भारत में यूरोप और रूस जैसी स्थिति हो सकती है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Mon, 09 Mar 2020 07:29 PM (IST) Updated:Mon, 09 Mar 2020 07:29 PM (IST)
भारत में भीषण गर्मी पड़ने का सता रहा खतरा, यूरोप और रूस जैसी हो सकती है स्थिति
भारत में भीषण गर्मी पड़ने का सता रहा खतरा, यूरोप और रूस जैसी हो सकती है स्थिति

नई दिल्ली, प्रेट्र। 2003 में पश्चिमी यूरोप और 2010 में रूस में भीषण गर्मी पड़ी थी, जिसके कारण यहां लगभग 1,000 लोग मारे गए थे और कई फसलें खराब हो गईं थीं। एक नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने भारत में भी भीषण गर्मी पड़ने की चेतावनी दी है। जर्नल साइंटिफिक रिपो‌र्ट्स में प्रकाशित इस अध्ययन में कहा गया है कि आने वाले कुछ वर्षो में भारत में यूरोप और रूस जैसी स्थिति हो सकती है।

वैज्ञानिकों ने अत्यधिक गर्म तापमान के लिए जिम्मेदार तंत्र की खोज की

इस शोध में अनुसंधानकर्ताओं ने भारत में गर्मी के लिए जिम्मेदार कारकों की पहचान की है। इसके लिए उन्होंने भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आइएमडी) से हाई-रिजॉल्यूशन वाले दैनिक तापमान डाटासेट का उपयोग किया है और वर्ष 1951-1975 और 1976-2018 के बीच देश में भीषण गर्मी की आवृत्ति और तीव्रता में परिवर्तन का आकलन किया।

देशभर के लगभग 395 क्वालिटी कंट्रोल स्टेशनों से एकत्र किए गए इस डाटासेट का विश्लेषण करते हुए पुणे स्थित भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आइआइटीएम) के वैज्ञानिकों ने अत्यधिक गर्म तापमान के लिए जिम्मेदार तंत्र की खोज की। आइआइटीएम से इस अध्ययन के प्रमुख लेखक मनीष कुमार जोशी ने कहा, 'नतीजों से पता चलता है कि भारत में गंगा के मैदानी इलाकों को छोड़कर पूरे देश में गर्मी के दिनों की आवृत्ति में लगातार वृद्धि हो रही है। '

हर साल बढ़ती जो रही है गर्मी के दिनों की संख्या

शोधकर्ताओं के अनुसार, 1976 और 2018 के बीच गंगा के मैदानी इलाकों को छोड़ भारत के एक बड़े हिस्से में अप्रैल-जून के मौसम में औसतन लगभग 10 दिनों तक भीषण गर्मी महसूस की है, जो 1951-1975 की तुलना में लगभग 25 फीसद अधिक है। उन्होंने कहा कि 1976 में जलवायु परिवर्तन से पहले भारत के पूर्वी और दक्षिणी हिस्सों में गर्म दिनों की आवृत्ति में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। हालांकि, इस जलवायु परिवर्तन के बाद प्रायद्वीप के उत्तर-पश्चिमी हिस्सों और पश्चिमी तट में गर्मी के दिन काफी बढ़ गए।

उच्च दबाव के कारण पैदा हो रही है स्थिति

मनीष जोशी और उनकी शोध टीम का मानना है कि यह भारत में तापमान में वृद्धि के एक स्थानिक बदलाव को इंगित करता है। विशेष रूप से गर्म दिनों की आवृत्ति में काफी बदलाव देखने को मिला है। शोधकर्ताओं के अनुसार, भीषण गर्मी की आवृत्ति में वृद्धि भारत के उत्तरी भागों में एक असामान्य उच्च दबाव (हाई प्रेशर) वायुमंडलीय प्रणाली से जुड़ी है।

अध्ययन में बताया गया है कि हाई प्रेशर सिस्टम का संबंध हवा के बहाव से भी है, जो एंटीसाइक्लोन बनाती है। उच्च वायुमंडलीय दबाव के मध्य क्षेत्र के चारों ओर हवाओं का बड़े पैमाने पर परिसंचरण को एंटीसाइक्लोन कहते हैं, जो पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध में दक्षिणावर्त (क्लॉकवाइज)और दक्षिणी गोलार्द्ध में वामावर्त (काउंटरक्लॉकवाइज) घूमता है। जोशी ने बताया कि इस पवन प्रणाली के कुछ हिस्से भारत के उत्तरी हिस्सों में उतरते हैं और दबाव बनाते हैं। उन्होंने कहा कि इस बढ़ते दबाव से वायुमंडलीय तापमान में वृद्धि होती है, जिसे एडियाबेटिक कंप्रेशन कहा जाता है।

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