देश में रफ्तार पकड़ेगा दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान, जानें- सभी प्रमुख वैक्सीन के बारे में

देश में फिलहाल सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड व भारत बायोटेक की कोवैक्सीन लगाई जा रही है। इनकी अब तक 10.8 करोड़ से ज्यादा खुराक का वितरण किया जा चुका है। यही नहीं भारत जरूरतमंद 70 से अधिक देशों को वैक्सीन की छह करोड़ खुराक प्रदान कर चुका है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Tue, 13 Apr 2021 10:31 PM (IST) Updated:Tue, 13 Apr 2021 10:34 PM (IST)
देश में रफ्तार पकड़ेगा दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान, जानें- सभी प्रमुख वैक्सीन के बारे में
देश में टीकाकरण अभियान रफ्तार पर है।

नई दिल्ली, [जागरण स्पेशल]। देश में बढ़ते कोरोना संक्रमण को काबू में करने के लिए केंद्र सरकार ने कई अहम कदम उठाए हैं। इसके तहत गत दिवस जहां रूस की स्पुतनिक-वी वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल की इजाजत दे दी गई, वहीं मंगलवार को विदेश में उत्पादित अन्य वैक्सीन के लिए भी दरवाजे खोल दिए गए। देश की बड़ी आबादी को कोरोना के खतरे से बचाने में सरकार का यह निर्णय काफी मददगार साबित होगा।

दो वैक्सीन का हो रहा इस्तेमाल

देश में फिलहाल सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड व भारत बायोटेक की कोवैक्सीन लगाई जा रही है। इनकी अब तक 10.8 करोड़ से ज्यादा खुराक का वितरण किया जा चुका है। यही नहीं, भारत जरूरतमंद 70 से अधिक देशों को वैक्सीन की छह करोड़ खुराक प्रदान कर चुका है। देश में टीकाकरण अभियान रफ्तार पर है। इसके साथ ही कुछ राज्यों से वैक्सीन की किल्लत की शिकायतें भी आने लगी हैं। इसे देखते हुए सीरम व भारत बायोटेक उत्पादन बढ़ाने में जुटी हैं।

माह के अंत तक उपलब्ध हो सकती है स्पुतनिक-वी

सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी और दवा नियामक डीसीजीआइ ने रूसी वैक्सीन स्पुतनिक-वी के आपातकालीन इस्तेमाल को हरी झंडी दे दी है। यह 91.6 फीसद तक कारगर पाई गई है। अब तक 59 देशों में इस वैक्सीन के इस्तेमाल इजाजत मिल चुकी है। द रशियन डायरेक्ट इंवेस्टमेंट फंड (RDEF) ने भारत में इस वैक्सीन के उत्पादन और उपयोग के लिए पिछले साल सितंबर में डॉ. रेड्डीज लेबोरेटरीज से करार किया था। जानकारों का कहना है अप्रैल के अंत तक सीमित मात्रा में यह वैक्सीन लोगों के लिए उपलब्ध हो सकती है।

चार और वैक्सीन कतार में

देश में अगले कुछ महीनों में चार और वैक्सीन को आपातकालीन इस्तेमाल की इजाजत मिलने की उम्मीद है। इनमें जॉनसन एंड जॉनसन (बायोलॉजिकल ई), नोवावैक्सीन (सीरम इंस्टीट्यूट) और जायडस कैडिला की वैक्सीन शामिल हैं। इनके अलावा भारत बायोटेक ने नाक से दी जाने वाली वैक्सीन भी विकसित की है, जिसका ट्रायल चल रहा है। जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन को 40 देशों में इस्तेमाल की इजाजत मिल चुकी है। वायरल वेक्टर आधारित यह वैक्सीन अमेरिका में 72 फीसद व वैश्विक तौर पर 66 प्रतिशत असरदार मानी गई। इसकी सिर्फ एक खुराक लेनी होगी। इसे 2-8 डिग्री सेल्सियस तापमान पर तीन महीने और माइनस चार डिग्री सेल्सियस पर दो साल तक सुरक्षित रखा जा सकता है।

फाइजर व मॉडर्ना

दोनों कंपनियों की एमआरएनए तकनीक पर आधारित वैक्सीन कोरोना के खिलाफ करीब 95 फीसद प्रभावी मानी गई हैं। इनकी भी दो खुराक लेनी लेनी होगी। मॉडर्ना की वैक्सीन को माइनस 20 तो फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन को माइनस 70 डिग्री सेल्यिस तापमान में रखना होता है। फाइजर की वैक्सीन 2-8 डिग्री सेल्सियस तापमान पर पांच दिनों तक प्रभावी रह सकती है। फाइजर को 82 व मॉडर्ना को 47 से ज्यादा देशों से आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी मिल चुकी है।

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