कोरोना के बाद की दुनिया, शिक्षा के क्षेत्र में भविष्य में दिखेगा आनलाइन और आफलाइन का मेल
पूरी दुनिया कोरोना से जंग लड़ रही है। भारत भी व्यापक स्तर पर टीकाकरण चलाकर इस महामारी पर अंकुश लगाने की कोशिश में जुटा हुआ है। माना जा रहा है कि जल्द ही हालात फिर सामान्य हो जाएंगे। कोरोना खत्म होने के बाद दुनिया बदल जाएगी।
नई दिल्ली, जेएनएन। बदले हालात में आनलाइन एजुकेशन की महत्वपूर्ण भूमिका देखी जा रही है। आने वाले समय में भी पाठ्यक्रमों के पठन-पाठन में यह दिखेगा। वैसे, आनलाइन और आफलाइन का यह मेल अभी से ही देखा जा सकता है और यही व्यवस्था निकट भविष्य में भी शैक्षिक कार्यक्रमों में दिखेगी। वैसे, यह आनलाइन व्यवस्था अभी समय की मांग भी है और इसके लिए आगे चलकर आफलाइन/कैंपस शैक्षिक कार्यक्रमों की तरह आनलाइन शिक्षा के अनुभव को भी बेहतर बनाने के लिए तमाम शैक्षणिक मंच सामने आएंगे, ताकि आनलाइन पढ़ाई भी युवाओं को वैसी ही लगे, जैसी वे अब तक कक्षाओं में करते रहे हैं।
एक बार जब उद्योगों से इस तरह के आनलाइन पाठ्यक्रमों को भी कैंपस डिग्री के समकक्ष की मान्यता मिल जाएगी, तो छात्र ऐसे आनलाइन विकल्पों को चुनने में और ज्यादा दिलचस्पी दिखाएंगे। यह कम खर्चीला भी है, क्योंकि आनलाइन कोर्स करने में उतनी लागत नहीं आती है, जितनी कैंपस कोर्सेज में आती है। कुल मिलाकर, आनलाइन और हाइब्रिड डिग्री के लिए भविष्य अच्छा है। इससे स्टूडेंट्स को अपनी पढ़ाई पूरी करने में मदद मिलेगी और उनका खर्च भी कम होगा। इस दिशा में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने भी विश्वविद्यालयों को ‘स्वयं’ (स्टडी वेब्स आफ एक्टिव लर्निग फॉर यंग एस्पायरिंग माइंड्स) एप के माध्यम से प्रति सेमेस्टर करीब 40 फीसद पाठ्यक्रम आनलाइन तरीके से पढ़ाने की अनुमति दे दी है।
बदल रही कार्य-संस्कृति
कोविड के बाद की परिस्थिति में जॉब्स और कार्य-संस्कृति, दोनों में व्यापक बदलाव देखने को मिलेंगे। वैसे, यह अभी से दिख भी रहा है। भविष्य के जॉब मार्केट में डिजिटल तकनीक से जुड़ी स्किल्स जैसे कि डाटा, डाटा सिक्युरिटी, मोबाइल, क्लाउड, इंफार्मेशन, आइओटी या इंटरनेट मीडिया आदि की समझ की कहीं ज्यादा आवश्यकता पड़ेगी, क्योंकि आगे चलकर अधिकांश संगठन/कंपनियां हाइब्रिड (आन-प्रिमाइसेस और वर्क फ्राम होम) मोड में काम करेंगी। वैसे भी किसी भी प्रबंधकीय जॉब के लिए आजकल नये-नये तकनीकी कौशल की समझ अपेक्षित मानी जाती है। अगर पर्सनल/पीपुल स्किल्स की बात करें, तो सहानुभूति को आजकल सबसे अधिक प्राथमिकता दी जा रही है। यही आज का सबसे वांछित कौशल है, क्योंकि नये वर्क कल्चर में कर्मचारी दूर से काम कर रहे होंगे और तब आज की तरह एक-दूसरे से आपसी शारीरिक संपर्क कम से कम होगा। जाहिर है ऐसे में भविष्य के कार्यबल में ईक्यू एक प्रमुख भूमिका निभाएगा।
मिश्रित कौशल की जरूरत
दुनियाभर में तेजी से आ रहे बदलाव के बीच युवाओं को फलने-फूलने के लिए कौशल के सही मेल की जरूरत होगी। सभी के हाथों में स्मार्टफोन और इंटरनेट आ जाने से लोगों की सूचना तक पहुंच तेजी से बढ़ रही है और तथ्यों को याद रखना अतीत की तुलना में अब कम महत्वपूर्ण माना जाने लगा है। हालांकि अकादमिक कौशल अभी भी महत्वपूर्ण फैक्टर है, लेकिन सिर्फ यही कौशल विचारशील और उत्पादक बने रहने एवं कार्यरत लोगों को आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त नहीं है। नये सामाजिक-आíथक परिदृश्य में नई जरूरतों को पूरा करने के लिए युवाओं को कुछ ऐसे स्किल सेट भी चाहिए, जो स्थिति का मूल्यांकन करने और काम की व्यावहारिकता में उनके काम आएं। खास तौर से कम्युनिकेशन, टीमवर्क, क्रिटिकल थिंकिंग और लचीलेपन जैसे कौशल हमेशा महत्वपूर्ण रहे हैं। लेकिन ये स्किल्स आने वाली पीढ़ियों के लिए और ज्यादा महत्वपूर्ण होंगे।
भविष्य के पसंदीदा करियर
नई तकनीकों के सामने आने से भविष्य में सबसे अधिक डिमांड उन कोर्सेज की होगी, जिसकी हर किसी को जरूरत होगी। क्योंकि बीतते समय के साथ बहुत सी नौकरियों का अस्तिव ही खत्म हो चुका होगा या वे आज की तरह अपने मूल स्वरूप में नहीं होंगी। यहां नई प्रौद्योगिकी से आशय डाटा साइंस, डिजिटल ट्रांसफार्मेशन एवं इनोवेशन, आइओटी, एंटरप्रेन्योरिशप या सस्टेनिबिलिटी (लंबे समय तक कायम रहने वाले फील्ड) के रूप में उन नये क्षेत्रों से है, जिनका जॉब मार्केट में दबदबा होगा और तब स्टूडेंट्स के लिए भी यही पसंदीदा करियर विकल्प होंगे।
रेखा सेठी, डायरेक्टर जनरल, एआइएमए (आइमा), टर्निग प्वाइंट ने कहा कि पूरी दुनिया कोरोना से जंग लड़ रही है। भारत भी व्यापक स्तर पर टीकाकरण चलाकर इस महामारी पर अंकुश लगाने की कोशिश में जुटा हुआ है। माना जा रहा है कि जल्द ही हालात फिर सामान्य हो जाएंगे। यह भी कहा जा रहा है कि कोरोना खत्म होने के बाद दुनिया बदल जाएगी। चिकित्सा हो या स्वास्थ्य या फिर शिक्षा या नौकरी, सब जगह यह बदलाव दिखेगा। आइए जानते हैं कोविड के बाद युवाओं के लिए यह दुनिया कैसी रहने वाली है और उसके लिए खुद को कैसे तैयार करने की जरूरत होगी।
इंडस्ट्री के साथ गठजोड़ पर हो जोर
भावी जॉब मार्केट को देखते हुए समय की यह जरूरत है कि उद्योग और शैक्षणिक संस्थान, दोनों मिलकर युवाओं की प्रतिभा और कौशल को विकसित करने में अपना योगदान दें। उद्योगों और शैक्षणिक संस्थानों के बीच पारस्परिक संबंधों के बल पर ही नये तरह के कोर्सेज की डिजाइनिंग, डेवलपमेंट और उसकी डिलीवरी संभव हो सकेगी। आज सभी इंडस्ट्री को जॉब रेडी ग्रेजुएट्स चाहिए यानी ऐसे ग्रेजुएट्स जो जॉब के लिए पूरी तरह से तैयार हों, जो तुरंत कंपनी की प्रोडक्टिविटी बढ़ाने में अपना योगदान दे सकें।
वहीं, दूसरी ओर शैक्षिक संस्थानों को भी अपने संचालित कोर्सेज के माध्यम से युवाओं में सही प्रकार के कौशल सेट विकसित करने में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। वैसे, एआइएमए (आइमा) इस दिशा में उद्योग-अकादमिक इंटरफेस और लिंकेज विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है और भविष्य में इन्हें साथ लाने के लिए निश्चित रूप से अपना योगदान भी देगा।