केरल में फिर उभरा 'लव जिहाद' का खतरा, IS में शामिल चार महिलाओं को भारत नहीं आने देगी सरकार
केरल में लव जिहाद का मुद्दा उन खबरों के बाद फिर से उठा है जिनमें कहा गया है कि केंद्र ने उन चार महिलाओं को वापस जाने की अनुमति नहीं दी है जो अपने पति और बच्चों के साथ आइएस के इस्लामिक खिलाफत में रहने के लिए अफगानिस्तान गई थीं।
तिरुअनंतपुरम, आइएएनएस। केरल में एक बार फिर से 'लव जिहाद' का मुद्दा उभरकर सामने आ गया है। दरअसल, केंद्र सरकार ने उन चार आइएस आतंकियों की बीवियों को भारत में वापस लेने से इन्कार कर दिया है जो अफगानिस्तान के इस्लामिक शासन में रहने के लिए अपने पति और बच्चों के साथ वहां गई थीं। सोनिया सबैस्टियन उर्फ आएशा, मेरिन जेकब उर्फ मेरिन, निमिषा नायर उर्फ फातिमा इसा और रफीला वर्ष 2016-18 के बीच इस्लामिक एस्टेट के खुरासन प्रांत में रहने गई थीं। विभिन्न हमलों में उनके पति मारे गए और इन महिलाओं ने वर्ष 2019 में अफगानिस्तान प्रशासन के समक्ष समर्पण कर दिया था।
भारत से भागकर इस्लामिक स्टेट में शामिल होने वाली चार महिलाओं को लेकर मोदी सरकार ने बड़ा फैसला किया है। रिपोर्ट है कि मोदी सरकार ने आतंकी संगठन में शामिल होने वाली चारों महिलाओं को भारत नहीं आने देने का फैसला किया है। ये चारों महिलाएं केरल की रहने वाली थीं और अफगानिस्तान के जेल में बंद हैं। रिपोर्ट के मुताबिक ये चारों महिलाएं केरल से भागकर अफगानिस्तान के खुरासान प्रांत में अपने पति के साथ गईं थीं और फिर इन्होंने आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट ज्वाइन कर लिया था।
विदेश मंत्रालय के अधिकारियों और खुफिया एजेंसियों के बड़े अफसरों समेत कई भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने इन पूछताछ के बाद पाया इनके धर्मातरण के बाद इन्हें बेहद घातक किस्म का कट्टरपंथी बनाया गया है। इनका केरल में वापस आना राज्य के लिए बेहद घातक हो सकता है। जबकि बिंदू की मां ने इस मामले में सगाई का कोई हाथ ही नहीं है।
केरल की हैं चारों महिलाएं
चारों महिलाएं केरल की रहने वाली हैं, जिन्होंने पूरी दुनिया में इस्लाम का शासन स्थापित करने की मकदस से बनाए गय आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट को 2016-18 में ज्वाइन किया था। उस वक्त आईएसआईएस ने दुनियाभर के मुस्लिमों से आईएसआईएस ज्वाइन करने की अपील की थी, लेकिन चंद मुस्लिमों का उन्हें समर्थन मिला था। भारत से भी करीब दर्जन भर लोग भागकर अफगानिस्तान और सीरिया पहुंचे थे। इन चारों महिलाओं के पति अलग अलग घटनाओं में मारे जा चुके हैं और ये महिलाएं इस्लामिक स्टेट्स की फाइटर थीं। हालांकि, इन्होंने दिसंबर 2019 में अफगानिस्तान प्रशासन के सामने सरेंडर कर दिया था और फिर इन्हें जेल भेज दिया गया था।