कोरोना संक्रमण का खतरा बरकरार, फिर भी मास्क पहनने को लेकर गंभीर नहीं लोग

स्वास्थ्य मंत्रलय द्वारा जारी एडवाइजरी में कहा गया है कि दो व्यक्तियों के मास्क नहीं पहनने और पर्याप्त शारीरिक दूरी नहीं रखने से संक्रमण का खतरा 90 फीसद होता है। हालांकि अगर गैर संक्रामक व्यक्ति मास्क पहनता है तो संक्रमण का जोखिम 30 फीसद तक कम हो जाता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Thu, 24 Jun 2021 09:58 AM (IST) Updated:Thu, 24 Jun 2021 01:40 PM (IST)
कोरोना संक्रमण का खतरा बरकरार, फिर भी मास्क पहनने को लेकर गंभीर नहीं लोग
टीकाकरण केंद्रों सहित शहरों और जिलों में लोग मास्क पहनने का कितना पालन कर रहे हैं।

नई दिल्ली, जेएनएन। डाक्टरों ने कोरोना से बचाव के लिए मास्क पहनने और शारीरिक दूरी अपनाने की सलाह दी है। लेकिन देश के कई हिस्सों में या तो लोग मास्क नहीं पहन रहे हैं या फिर दिखावे के लिए ठोढ़ी पर लटका रखते हैं। यह हालत तब है जब अत्यधिक संक्रामक डेल्टा प्लस वैरिएंट ने कई शहरों में दस्तक दे दी है और विज्ञानियों ने तीसरी लहर के छह से आठ सप्ताह में आने की चेतावनी जारी की है। लोगों के मास्क पहनने की प्रवृत्ति को लेकर लोकल सर्किल ने एक सर्वे किया। इस दौरान यह पता लगाने का प्रयास किया गया कि टीकाकरण केंद्रों सहित शहरों और जिलों में लोग मास्क पहनने का कितना पालन कर रहे हैं। इस दौरान 312 जिलों के 33,000 से अधिक नागरिकों से उनकी प्रतिक्रियाएं ली गईं।

मास्क पहनने से 30 फीसद कम हो जाता है संक्रमण का जोखिम: स्वास्थ्य मंत्रलय द्वारा जारी एडवाइजरी में कहा गया है कि दो व्यक्तियों के मास्क नहीं पहनने और पर्याप्त शारीरिक दूरी नहीं रखने से संक्रमण का खतरा 90 फीसद होता है। हालांकि अगर गैर संक्रामक व्यक्ति मास्क पहनता है तो संक्रमण का जोखिम 30 फीसद तक कम हो जाता है। गाइडलाइन में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि ड्रापलेट्स और एरोसोल से संक्रमित होने की संभावना सबसे ज्यादा होती है, क्योंकि यह हवा में 10 मीटर दूर तक जा सकती हैं। अगर इन प्रोटोकाल का पालन नहीं किया जाता है कि कोरोना संक्रमण के कुछ थोड़े लोगों से बहुत बड़ी आबादी में फैलने का खतरा रहता है।

सुपरस्प्रेडर का जरिया बन रहे टीकाकरण केंद्र: देश में टीकाकरण अभियान जोरों पर है। कई केंद्रों पर भीड़ के साथ अराजकता का भी माहौल देखने को मिल रहा है। केरल में तो टीकाकरण केंद्रों पर उमड़ रही भीड़ का हाई कोर्ट को स्वत: संज्ञान लेना पड़ा। जिसके बाद प्रदेश सरकार ने आन स्पाट रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया बंद कर दी। लोकल सर्किल से बात करते हुए अधिकांश लोगों ने कहा कि टीकाकरण के बाद वह कोरोना से संक्रमित हो गए। विशेषज्ञों के मुताबिक मास्क प्रोटोकाल का पालन नहीं किए जाने के चलते टीकाकरण केंद्र सुपरस्प्रेडर का जरिया बन रहे हैं।

67 फीसद बोले, बहुत सीमित संख्या में पहनते हैं मास्क: जब लोगों से उनके क्षेत्र में मास्क प्रोटोकाल के बारे में पूछा गया तो मात्र दो फीसद ने कहा कि इसका पालन नहीं किया जा रहा है। जबकि 10 फीसद लोगों का कहना था कि 0-30 फीसद लोग मास्क पहन रहे हैं। वहीं 55 फीसद ने 30-60 फीसद, 23 फीसद ने 60-90 फीसद और नौ फीसद लोगों ने कहा कि 90 फीसद से ज्यादा लोग मास्क पहनते हैं। औसत निकाला जाए तो 67 फीसद लोगों का मानना है कि उनके क्षेत्र में सीमित संख्या में मास्क पहनने के नियम का पालन हो रहा है।

टीकाकरण केंद्रों पर सीमित संख्या में मास्क पहनते हैं लोग: जब लोकल सर्किल ने पूछा कि टीकाकरण केंद्रों पर मास्क पहनने के प्रोटोकाल का कितने लोग पालन करते हैं तो मात्र दो फीसद ने कहा कि इसका बिल्कुल अनुपालन नहीं किया जाता है। चार फीसद ने कहा कि 0-30 फीसद मास्क पहनते हैं, 26 फीसद ने कहा 30-60 फीसद, 47 फीसद ने कहा कि 60-90 फीसद और 21 फीसद ने कहा कि 90 फीसद से अधिक लोग ठीक तरह से मास्क पहनते हैं। अगर इसका औसत निकाला जाए तो 32 फीसद लोगों का मानना है कि टीकाकरण केंद्रों पर मास्क पहनने के प्रोटोकाल का सीमित संख्या में अनुपालन किया जाता है।

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