..तो 2022 तक पूरा हो सकता है ऊर्जा का 'अक्षय सपना'

रिपोर्ट के मुताबिक अगर तय लक्ष्य को हासिल करने के लिए एकसूत्री कार्यक्रम के तहत आगे बढ़ा गया तो इसके कई नकारात्मक असर दिखाई दे सकते हैं।

By Nitin AroraEdited By: Publish:Tue, 21 Jan 2020 03:58 PM (IST) Updated:Tue, 21 Jan 2020 05:27 PM (IST)
..तो 2022 तक पूरा हो सकता है ऊर्जा का 'अक्षय सपना'
..तो 2022 तक पूरा हो सकता है ऊर्जा का 'अक्षय सपना'

नई दिल्ली, एजेंसी। ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए तय किए अपने लक्ष्यों के तहत केंद्र सरकार ने 2022 के लिए ऊर्जा का अक्षय सपना 2015 में देखा। इस दिशा में तेजी से काम भी शुरू हुए। अब सेंटर फॉर स्टडी ऑफ साइंस टेक्नोलॉजी एंड पॉलिसी की रिसर्च बताती है कि सरकार के अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए कुल जमीन फुटप्रिंट 55 हजार से 1.25 लाख वर्ग किमी की दरकार होगी। यह रकबा देश के छत्तीसगढ़ या हिमाचल प्रदेश के बराबर है। बता दें कि 175 गीगावाट- 2022 तक अक्षय ऊर्जा पैदा करने का सरकार का महत्वाकांक्षी लक्ष्य है।

चिंता की बात

रिपोर्ट के मुताबिक अगर तय लक्ष्य को हासिल करने के लिए एकसूत्री कार्यक्रम के तहत आगे बढ़ा गया तो इसके कई नकारात्मक असर दिखाई दे सकते हैं। औसतन 6,700 से 11,900 वर्ग फीट जंगल और 24,100 से 55,700 वर्ग फीट कृषि योग्य भूमि इससे अलग-अलग स्तरों पर प्रभावित हो सकती हैं। इस नुकसान से पर्यावरणीय और सामाजिक टकराव शुरू हो सकते हैं। लिहाजा निवेश पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। कुल मिलाकर अक्षय ऊर्जा पैदा करने के लक्ष्य को पाना मुश्किल हो सकता है।

क्या है समाधान

रिपोर्ट के अनुसार भारत के 32.90 करोड़ हेक्टेयर रकबे में से 27 फीसद बेकार भूमि है। जो इस लक्ष्य को पाने के लिए पर्याप्त है।

उठाए गए प्रभावी कदम

अक्षय ऊर्जा का लक्ष्य हासिल करने के लिए सरकार का सबसे चर्चित कदम टैक्स हॉलिडे रहा। इसमें सरकार ने राज्यों के स्तर पर अक्षय ऊर्जा की खरीद को अनिवार्य बनाने से लेकर 10 साल के टैक्स हॉलिडे के जरिए आर्थिक प्रोत्साहन देने का प्रयास किया।

कुदरत की मेहरबानी

धूप वाले 300 दिनों के साथ भारत सूरज की सर्वाधिक रोशनी वाले देशों में प्रमुख है जबकि पवन ऊर्जा का निर्माण भी पूरे देश में कहीं भी संभव है।

पांचवां अक्षय ऊर्जा उत्पादक देश

भारत अब दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा अक्षय ऊर्जा उत्पादक देश है। साथ ही विश्व का चौथा सबसे बड़ा पवन ऊर्जा क्षमता और पांचवां सबसे बड़ा सौर क्षमता वाला देश बन चुका है। 2015 के पेरिस जलवायु समझौते में भारत ने 2022 तक 175 गीगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता हासिल करने का दावा किया है इसलिए 2014-15 और 2017-18 के बीच अक्षय ऊर्जा के बजटीय आवंटन में 38.9 प्रतिशत की वृद्धि भी की गई। 2010-11 में राष्ट्रीय स्वच्छ ऊर्जा और पर्यावरण निधि का गठन किया गया था।

ऐसा होगा विभाजन

2022 तक 175 गीगावाट अक्षय ऊर्जा का जो लक्ष्य रखा है, इसमें 100 गीगावाट सौर, 60 गीगावाट पवन, 10 गीगावाट बॉयो पावर और 5 गीगावाट छोटे हाइड्रो पावर का रहेगा।

महत्वपूर्ण तथ्य:

- अक्षय ऊर्जा भारत की ऊर्जा योजना का महत्वपूर्ण हिस्सा है। 1970 में ही इसकी टिकाऊ ऊर्जा के रूप में पहचान कर ली गई थी।

- देश में ऊर्जा उत्पादन की स्थापित क्षमता 310 गीगावाट है। इसमें 69.4 फीसद तापीय, 13.9 जलविद्युत, 14.8 अक्षय और 1.9 फीसद परमाणु ऊर्जा है।

- आधुनिक समय में इसका इस्तेमाल बिजली पैदा करने, गर्म व ठंडा करने के उपयोगों में, परिवहन और गांवों में ग्रिड से बाहर ऊर्जा सेवाएं देने में हो रहा है।

- देश में 12 लाख से ज्यादा घरों में रोशनी के लिए सोलर ऊर्जा का उपयोग हो रहा है। इतने ही घरों में खाना पकाने के लिए बॉयो गैस प्लांट का इस्तेमाल हो रहा है। सोलर फोटोवोल्टिक पावर सिस्टम ग्रामीण विद्युतीकरण, रेलवे सिग्नलिंग, मोबाइल टावर, टीवी ट्रांसमिशन और सीमा चौकियों पर बिजली मुहैया कराने में इस्तेमाल हो रहे हैं।

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