टीका लगने के बाद भी संक्रमित होने का गणित, कुछ लोगों में खतरा ज्यादा

सीडीसी के आंकड़ों मुताबिक ब्रेकथ्रू इंफेक्शन में 63 फीसद महिलाएं पाई गई हैं। कुछ अन्य अध्ययन भी बताते हैं कि महिलाओं में इसकी आशंका ज्यादा रहती है। हालांकि इसका कोई स्पष्ट कारण नहीं मिला है। इसके अलावा बड़ी उम्र के लोगों में अपेक्षाकृत टीके का असर कुछ कम रहता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Fri, 30 Jul 2021 11:20 AM (IST) Updated:Fri, 30 Jul 2021 11:20 AM (IST)
टीका लगने के बाद भी संक्रमित होने का गणित, कुछ लोगों में खतरा ज्यादा
कोरोना के टीके कारगर हैं और संक्रमण के लक्षणों से बहुत हद तक बचाते हैं।

नई दिल्‍ली, प्रेट्र। कोरोना महामारी से बचाव के लिए टीकाकरण शुरू होने के बाद से ही यह माना जा रहा था कि टीके की दोनों डोज के बाद संक्रमित होने का खतरा नहीं रहता है। हालांकि दुनियाभर में बढ़ते मामलों और ज्यादा संक्रामक डेल्टा वैरिएंट की चिंताओं के बीच कई रिपोर्टों में सामने आया है कि दोनों डोज के बाद भी संक्रमित होने का खतरा रहता है। टीके की तय डोज लेने के 14 दिन बाद जांच में संक्रमण का पता लगने को ब्रेकथ्रू इंफेक्शन कहा जाता है। अमेरिका की वांडरबिल्ट यूनिवर्सिटी के स्टाफ साइंटिस्ट संजय मिश्रा ने इस संबंध में कई सवालों के जवाब दिए हैं। वह स्पष्ट करते हैं कि कोरोना के टीके कारगर हैं और संक्रमण के लक्षणों से बहुत हद तक बचाते हैं।

हालत गंभीर होने से बचाता है टीका: अमेरिका के सेंटर फार डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के आंकड़ों के मुताबिक, ब्रेकथ्रू के 27 फीसद मामले ऐसे थे, जिनमें संबंधित व्यक्ति में कोई लक्षण नहीं था। 10 फीसद को अस्पताल जाना पड़ा, जिसमें से कुछ के भर्ती होने का कारण कोरोना नहीं था और दो फीसद लोगों की जान गई। 2020 में जब टीकाकरण शुरू नहीं हुआ था, छह फीसद से ज्यादा संक्रमितों की मौत हुई थी। एक अन्य अध्ययन के मुताबिक, फाइजर के टीके की एक डोज के बाद ही संक्रमित व्यक्ति में अन्य की तुलना में कम वायरस पाए जाते हैं।

कुछ लोगों में खतरा ज्यादा: सीडीसी के आंकड़ों मुताबिक, ब्रेकथ्रू इंफेक्शन में 63 फीसद महिलाएं पाई गई हैं। कुछ अन्य अध्ययन भी बताते हैं कि महिलाओं में इसकी आशंका ज्यादा रहती है। हालांकि इसका कोई स्पष्ट कारण नहीं मिला है। इसके अलावा, बड़ी उम्र के लोगों में अपेक्षाकृत टीके का असर कुछ कम रहता है। यही कारण है कि ब्रेकथ्रू इंफेक्शन के 75 फीसद मामले 65 साल या इससे ज्यादा उम्र के लोगों में पाए गए। हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, किडनी या फेफड़े की बीमारी से जूझ रहे लोगों में भी खतरा ज्यादा रहता है।

टीके ने बचाईं कर्ई जिंदगियां: अमेरिका में 16.3 करोड़ लोगों को टीके की दोनों डोज लग चुकी है। 65 साल से ज्यादा उम्र के करीब 90 फीसद को कम से कम एक डोज लग चुकी है। एक आकलन के आधार पर टीकाकरण के दम पर वहां जून के आखिर तक 2,79,000 लोगों की जान बची और 12.5 लाख लोगों को अस्पताल नहीं जाना पड़ा। मई में अमेरिका में 18 हजार से ज्यादा जानें गईं, जिनमें से दोनों डोज ले चुके लोगों की संख्या मात्र 150 थी। इंग्लैंड में टीके के कारण 30,300 लोगों की जान बचने का अनुमान है।

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