कोविड फैलने का बड़ा कारण प्रकृति को हुआ नुकसान, परिस्थितिकी तंत्र में करना होगा सुधार
कोविड-19 महामारी फैलने का बड़ा कारण प्रकृति को हुआ नुकसान भी है। दशकों से हो रहे प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन से जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों की कई प्रजातियां विलुप्त हो गई हैं। यह बात संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) की भारतीय शाखा के प्रमुख अतुल बगई ने कही है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। कोविड-19 महामारी फैलने का बड़ा कारण प्रकृति को हुआ नुकसान भी है। दशकों से हो रहे प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन से जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों की कई प्रजातियां विलुप्त हो गई हैं। यह बात संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) की भारतीय शाखा के प्रमुख अतुल बगई ने कही है। उन्होंने भारत समेत सभी देशों में परिस्थितिकी तंत्र में सुधार के लिए अविलंब प्रयास तेज करने की आवश्यकता पर बल दिया है।
यूएनईपी ने माना, परिस्थितिकी में सुधार के लिए अविलंब प्रयास की जरूरत
बगई ने मौसम में बदलाव, प्रदूषण और जैव विविधता को हुए नुकसान का उल्लेख करते हुए कहा कि इन मुश्किलों से भारत ही नहीं पूरी दुनिया जूझ रही है। भारत ने कुछ दशक पहले ही तेज विकास के रास्ते को पकड़ा है। इसका असर अब मानव जीवन और अन्य जीवधारियों पर दिखाई देने लगा है। कोविड ने प्रकृति से जुड़े क्षेत्रों में गिरावट की ओर लोगों का ध्यान खींचा है। इसलिए हालात में बदलाव की जरूरत है। भारत ने इस सिलसिले में ठोस कदम उठाने शुरू कर दिए हैं।
2050 तक कार्बन उत्सर्जन शून्य करने का संकल्प व्यक्त किया है। भारत को अपने प्रयास बढ़ाने की जरूरत है। वह इसके लिए अन्य देशों को तैयार कर सकता है। विश्व पर्यावरण दिवस पर इसी साल लांच हुए यूएन डेकेड फॉर इकोसिस्टम रेस्टोरेशन में सभी देशों को ज्यादा सक्रिय भागीदारी निभानी है, जिससे प्रकृति को हो रहे नुकसान को रोका जा सके। इसके लिए भारत में कई कदम उठाए जा रहे हैं। लेकिन इसके लिए और ज्यादा जन जागरूकता की जरूरत है जिससे यह जन-जन का प्रयास बन सके। बेहतर भविष्य के लिए भारत को प्राकृतिक संसाधन विकसित करके खाद्य उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी।