लद्दाख की घटनाओं ने चीन के साथ गहरा संबंध बिगाड़ा: जयशंकर

जयशंकर पूर्वी लद्दाख गतिरोध पर बोले कि मतभेदों से दूर 2020 की घटनाओं ने वास्तव में हमारे संबंधों को असाधारण तनाव में डाल दिया है। संबंधों का विकास केवल आपसी सम्मान आपसी संवेदनशीलता आपसी हित जैसे पारस्परिकता पर आधारित हो सकता है।

By Nitin AroraEdited By: Publish:Thu, 28 Jan 2021 01:06 PM (IST) Updated:Thu, 28 Jan 2021 01:11 PM (IST)
लद्दाख की घटनाओं ने चीन के साथ गहरा संबंध बिगाड़ा: जयशंकर
लद्दाख की घटनाओं ने चीन के साथ गहरा संबंध बिगाड़ा: जयशंकर

नई दिल्ली, एएनआइ/पीटीआइ। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि लद्दाख की घटनाओं ने भारत और चीन के गहरे संबंध को बिगाड़ा है। विदेश मंत्री ने कहा कि लद्दाख की घटनाओं के कारण सैनिकों को कम करने में असक्षम साबित हुए। साथ ही ऐसी घटनाओं में शांति भंग करने की इच्छा भी दिखाई दी। पूर्वी लद्दाख पर जयशंकर ने कहा, 'हमें चीन के रुख में बदलाव और सीमावर्ती क्षेत्रों में सैनिकों की भीड़ के लिए विश्वसनीय स्पष्टीकरण प्राप्त करना बाकी है।' उन्होंने कहा कि हमारे सामने मुद्दा यह है कि चीनी घटनाएं आखिर क्या संकेत देती है, यह कैसे विकसित होगा, इससे भविष्य के संबंध क्या हो सकते हैं?

जयशंकर पूर्वी लद्दाख गतिरोध पर बोले कि मतभेदों से दूर, 2020 की घटनाओं ने वास्तव में हमारे संबंधों को असाधारण तनाव में डाल दिया है। संबंधों का विकास केवल आपसी सम्मान, आपसी संवेदनशीलता, आपसी हित जैसे पारस्परिकता पर आधारित हो सकता है।

चीन अध्ययन के 13 वें अखिल भारतीय सम्मेलन में ईएएम बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि 1975 के बाद 2020 में ऐसे हाल पैदा हुए जब सीमा पर जान गंवानी पड़ी। उन्होंने कहा कि आज भारत-चीन संबंध सही मायने में क्रॉस-रोड पर हैं, वे केवल दो राष्ट्रों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व पर गहरा प्रभाव डालेंगे।

जयशंकर ने कहा कि पहले से हो चुके समझौतों को ध्यान में रखकर पालन करना होगा। LAC पर ध्यान दिया जाना चाहिए, सम्मान किया जाना चाहिए, यथास्थिति को बदलने का कोई भी प्रयास पूरी तरह से अस्वीकार्य है। जयशंकर बोले कि चीन के साथ संबंधों के समग्र विकास के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति जरूरी है। अगर ऐसा नहीं है तो कही न कही सब ठीक नहीं चल रहा है।

इसके अलावा जयशंकर ने कहा कि पिछले 3 दशकों से, कुछ क्षेत्रों में बातचीत और आदान-प्रदान लगातार बढ़ता गया। चीन हमारे सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में से एक, निवेश का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। हालांकि, बीते वर्षों में, हमने स्पष्ट रूप से भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में होने वाली कोई महत्वपूर्ण प्रगति नहीं देखी। इसी दौरान, सीमावर्ती बुनियादी ढांचे का निर्माण भी बढ़ा, विशेष रूप से चीनी साइड से।

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