जमानत के लिए कमजोर साक्ष्य का हवाला देना आरोपित को पड़ा भारी, जानें- क्या है पूरा मामला

पीठ ने आरोपित के वकील अभिषेक गुप्ता से कहा कि खुद उसकी बेटी ने पुलिस के सामने उसकी संलिप्तता को लेकर बयान दिया है। पीठ ने कहा कि यह गंभीर अपराध है और सभी प्रमुख गवाहों के बयान दर्ज होने तक वह जमानत याचिका पर विचार नहीं करेगी।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Fri, 06 Aug 2021 02:50 AM (IST) Updated:Fri, 06 Aug 2021 05:23 AM (IST)
जमानत के लिए कमजोर साक्ष्य का हवाला देना आरोपित को पड़ा भारी, जानें- क्या है पूरा मामला
सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार से अन्य एजेंसी को जांच सौंपने पर विचार करने को कहा

नई दिल्ली, प्रेट्र। सेना के एक जवान द्वारा पत्नी की मौत के मामले में जमानत लेने के लिए याचिका में आरोपपत्र में कमजोर साक्ष्यों का हवाला देना आरोपित के लिए भारी पड़ गया। इसके मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को पुलिस की जांच पर संदेह जाहिर किया। साथ ही राजस्थान सरकार को इस मामले को एक निष्पक्ष जांच एजेंसी के पास स्थानांतरित करने पर विचार करने को कहा।

प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ राजस्थान के अलवर निवासी सहाबुद्दीन की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी। उस पर एक छोटी सी बात को लेकर हुए झगड़े के बाद पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने और अपने मोबाइल से उसकी मौत का वीडियो बनाने का आरोप है। पीठ में जस्टिस सूर्यकांत भी शामिल हैं।

पीठ ने आरोपित के वकील अभिषेक गुप्ता से कहा कि खुद उसकी बेटी ने पुलिस के सामने उसकी संलिप्तता को लेकर बयान दिया है। पीठ ने कहा कि यह गंभीर अपराध है और सभी प्रमुख गवाहों के बयान दर्ज होने तक वह जमानत याचिका पर विचार नहीं करेगी।

पीठ ने कहा, आपने अपनी पत्नी को मार दिया और आपका अन्य महिला के साथ अवैध संबंध था। आपने अपनी पत्नी को नहीं बचाया और यहां तक कि उसकी आत्महत्या का वीडियो बनाया। कृपया मामले के गुण-दोष के आधार पर टिप्पणी का इंतजार नहीं करें।

हालांकि, बचाव पक्ष के वकील ने राजस्थान पुलिस द्वारा दाखिल आरोपपत्र की ओर ध्यान दिलाते हुए जमानत प्रदान करने का अनुरोध किया और दावा किया कि आरोपित के खिलाफ कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य नहीं है।

इस पर प्रधान न्यायाधीश ने आरोपपत्र की कुछ कमजोर कड़ियों को पकड़ा और कहा, मैंने अपने पूरे करियर में इस तरह का आरोपपत्र नहीं देखा। साथ ही जमानत याचिका खारिज करने के बजाय पीठ ने जांच पर सवाल उठाते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी किया।

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