टेरर फंडिंग मामला: NIA की विशेष कोर्ट ने हिजबुल मुजाहिदीन के 4 आतंकवादियों को सुनाई 10 से 12 साल जेल की सजा

टेरर फंडिंग मामला दिल्ली की पटियाला हाउस की विशेष अदालत ने दो को 12-12 और दो को 10-10 साल सश्रम कारावास की दी सजा। देश में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए जुटा रहे थे धन। 4 अक्टूबर को चारों आतंकियों को दोषी ठहराया था।

By Shashank PandeyEdited By: Publish:Tue, 26 Oct 2021 09:48 AM (IST) Updated:Tue, 26 Oct 2021 09:48 AM (IST)
टेरर फंडिंग मामला: NIA की विशेष कोर्ट ने हिजबुल मुजाहिदीन के 4 आतंकवादियों को सुनाई 10 से 12 साल जेल की सजा
टेरर फंडिंग मामले में हिजबुल के 4 आतंकियों को सजा।(फोटो: प्रतीकात्मक)

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। पटियाला हाउस की विशेष अदालत ने टेरर फंडिंग के जरिये भारत में आतंकी गतिविधि को अंजाम देने के मामले में दोषी पाए गए पाकिस्तानी आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन (एचएम) के चार आतंकियों को सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। इनमें मुहम्मद सैफी शाह व मुजफ्फर अहमद डार को 12-12 साल और तालिब लाली व मुश्ताक अहमद लोन को 10-10 साल की कैद व जुर्माना सुनाया गया है। दोषियों ने 27 सितंबर को स्वयं पर लगे सभी आरोपों को स्वीकार कर लिया था। विशेष न्यायाधीश परवीन सिंह की अदालत ने चार अक्टूबर को चारों को दोषी ठहराया था।

राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनआइए) ने आरोप लगाया था कि हिजबुल मुजाहिदीन नियमित रूप से भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए पड़ोसी देशों से धन प्राप्त कर रहा था। जम्मू कश्मीर प्रभावित राहत ट्रस्ट (जेकेएआरटी) की आड़ में हिजबुल सक्रिय रूप से शामिल है और आतंकी गतिविधियों को आगे बढ़ा रहा है। चारों दोषियों को आतंकी कृत्य के लिए धन जुटाने, साजिश रचने, आतंकी गिरोह या संगठन का सदस्य होने के अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया था।

इसके अलावा सभी को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के साथ ही भारतीय दंड संहिता के तहत भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने, युद्ध छेड़ने का प्रयास और युद्ध छेड़ने के लिए उकसाने के लिए भी दोषी ठहराया था। दोषियों में सैफी शाह और तालिब लाली जम्मू-कश्मीर के बांदीपोरा जिले के रहने वाले हैं, जबकि डार बडगाम व अहमद लोन अनंतनाग जिले का रहने वाला है।

चार आरोपियों को NIA कोर्ट ने किया बरी

आतंकी फंडिंग के मामले में NIA कोर्ट ने चार आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट ने आरोपियों को बरी करते हुए कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि ‘घी’ शब्द का कोडवर्ड विस्फोटक के लिए था। मोहम्मद सलमान, मोहम्मद सलीम, आरिफ गुलाम बशी और मोहम्मद हुसैन मोलानी को पाकिस्तानी आतंकी संगठन से फंड लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इन पर आरोप था कि ये चारों फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन से फंड लेकर स्लीपर सेल को भर्ती कर रहे थे, ताकि देश में आतंक फैलाया जा सके।

NIA ने कोर्ट को बताया था कि एक मस्जिद बनाने के नाम पर यह फंड लिया गया था। मोहम्मद सलमान के फोन से मिले दो मैसेज को NIA ने अपनी चार्जशीट में शामिल किया था। यह मैसेज था, ‘‘घी का इंतजाम हो गया है, बॉम्बे वाली पार्टी भी आएगी उनके हाथों भिजवा देंगे।’

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