पानी और सीवर के ढाई-ढाई करोड़ कनेक्शन देने का लक्ष्य, सभी 4,800 शहरी निकायों को अमृत योजना में किया गया शामिल
देश के शहरी क्षेत्रों में जहां ढाई करोड़ से अधिक सीवर कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा गया है वहीं देश की सभी शहरी निकायों के साथ छोटे-बड़े कस्बों में ढाई करोड़ से अधिक पानी के कनेक्शन देने का लक्ष्य है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। देश के शहरी क्षेत्रों में जहां ढाई करोड़ से अधिक सीवर कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा गया है, वहीं देश की सभी शहरी निकायों के साथ छोटे-बड़े कस्बों में ढाई करोड़ से अधिक पानी के कनेक्शन देने का लक्ष्य है। सभी शहरी घरों से कूड़ा उठाने की योजना तैयार की गई है। अमृत योजना के दूसरे चरण के तहत जहां जलापूर्ति और सीवर कनेक्शन दिए जाएंगे, वहीं स्वच्छ भारत मिशन के तहत कूड़ा प्रबंधन पर जोर होगा। देश के 4,371 शहरी निकाय खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) हो चुके हैं। ये जानकारी लोकसभा में पूछे गए कई सवालों के जवाब में शहरी विकास मंत्रालय ने दी है।
शहरों के कायाकल्प और परिवर्तन के लिए शुरू किए गए अटल मिशन (अमृत) के तहत पहले जहां सिर्फ 500 बड़े शहरों में योजना चलाई जा रही थी, उसे बढ़ाकर अब 4,800 शहरी निकायों तक कर दिया गया है। शहरी निकायों को जल सुरक्षा और जल के मामले में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। सेप्टिक टैंक और सीवर लाइनों के लिए भी सभी शहरों को शामिल किया गया है।
मंत्रालय ने बताया कि मिशन के तहत कुल 2.68 करोड़ पानी के नल के कनेक्शन दिए जाएंगे। इसी के साथ 2.64 करोड़ घरों को सीवर लाइन जोड़ा जाएगा। इसके लिए वित्तीय मदद स्थानीय निकाय अपने स्तर पर बाजार से उधार लेकर ले सकते हैं। अमृत योजना के दूसरे चरण में टेक्नोलाजी सबमिशन शुरू किया गया है, जिसमें वैश्विक स्तर की प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाएगा।
स्वच्छता मिशन को सतत बनाए रखने के लिए शहरों को कूड़ा मुक्त बनाने पर जोर दिया जाएगा। शौचालय निर्माण का कार्य लगातार जारी है। शहरी क्षेत्रों के 98.50 प्रतिशत घरों में शौचालय बनाए जा चुके हैं। सामुदायिक क्षेत्रों में निर्धारित लक्ष्य के मुकाबले 92 प्रतिशत शौचालय बनाए जा चुके हैं। देश के बाकी रह गए 96 शहरी निकायों को ओडीएफ बनाने का लक्ष्य पूरा कर लिया गया है। इसी तरह सालिड वेस्ट मैनेजमेंट की दिशा में 89 प्रतिशत शहरी घरों से कूड़ा उठाया जाने लगा है। अगला लक्ष्य घरों के स्तर पर ही कूड़े की छंटाई करना है। इसे भी चालू वर्ष में पूरा कर लिया जाएगा। अगली चुनौती इसे सतत बनाए रखने की है।