तमिलनाडु: नेत्रहीन होने के बाद भी कम नहीं हुआ हौंसला, UPSC परीक्षा में हासिल की 286वीं रैंक
मदुरै की पूर्णा ने नेत्रहीन होने के बाद भी यूपीएससी की परीक्षा में 286वां स्थान हासिल किया है।
मदुरै, एएनआइ। सपनो तो हम सभी देखते है लेकिन, उन्हें पूरा करने की चाह हर किसी में नहीं होती। चाह के साथ ही लगन हो तो आपको अपने सपने पूरे करने से कोई नहीं रोक सकता। इसी की मिसाल पेश की है
तमिलनाडु के मदुरै की रहने वाली पूर्णा सुंदरी ने, पूर्णा ने यूपीएससी की परीक्षा में 286वीं रैंक हासिल की है। दरअसल, पूर्णा नेत्रहीन है। अपनी इस सफलता के बारे में बात करते हुए पूर्णा ने कहा कि मेरे माता-पिता ने मुझे बहुत समर्थन दिया है। मैं अपनी सफलता उन्हें समर्पित करना चाहूंगी। यह मेरा 4वां प्रयास था, मैंने इस परीक्षा में 5 साल समर्पित किए।
2015 में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, पूर्णा चेन्नई चली गई और सिविल सेवा परीक्षा को पास करने के लिए एक कोचिंग सेंटर के जरिए पड़ने लगी। पूर्णा ने 2016 के बाद से ही सिविल सेवा की परीक्षा देना शुरु कर दिया और उसने फिर चार प्रयास किए। पूर्णा कहती है कि अब वह एक आईएएस अधिकारी बनना चाहती है।
दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई
बता दें कि इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को संघ यूपीएससी को अखिल भारतीय सिविल सेवाओं में वैकेंसी की गणना (कंप्यूटिंग) की पद्धति के बारे में ब्योरा देने के लिए कहा था। दरअसल, इन वैकेंसी के लिए आयोग एक भर्ती प्रक्रिया संचालित करता है। एक जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायूर्ति प्रतीक जलान की पीठ ने सुनवाई की और यूपीएससी से इस संबंध में जवाब मांगा था। याचिका में सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा के विवरण की घोषणा करने वाली इस साल के नोटिस को चुनौती दी गई है। कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी की वजह से इस साल यह परीक्षा चार अक्टूबर को होने का कार्यक्रम है। यह यह याचिका इस आधार पर दी गई है कि नोटिस में दिव्यांग जनों को उपलब्ध कराए जाने वाले न्यूनतम आरक्षण की अनदेखी की गई है।