तमिलनाडु में वन्नियाकुल क्षत्रिय समुदाय को 10.5 फीसद आरक्षण का रास्ता साफ
इस कानून के जरिये दो और नए समूह बनाए गए हैं। एक समूह में 25 एमबीसी और 68 डीसी और दूसरे में शेष 22 एमबीसी को रखा गया है। इसमें तीन श्रेणियों में आंतरिक आरक्षण का प्रविधान किया गया है।
चेन्नई, आइएएनएस। तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव से पहले राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने आंतरिक आरक्षण विधेयक को मंजूरी दे दी है। इसके तहत शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में वन्नियाकुल क्षत्रिय समुदाय को भी अति पिछड़ा वर्ग (एमबीसी) और गैरअधिसूचित समुदायों (डीसी) के तहत 10.5 फीसद आरक्षण का प्रविधान किया गया है। राज्यपाल ने शुक्रवार को इन दोनों समुदायों के लिए आरक्षण का प्रवधान करने वाले विधेयक को मंजूरी दी। राज्य सरकार ने इसको लेकर उसी दिन गजट में अधिसूचना भी जारी कर दी।
इस कानून के जरिये दो और नए समूह बनाए गए हैं। एक समूह में 25 एमबीसी और 68 डीसी और दूसरे में शेष 22 एमबीसी को रखा गया है। इसमें तीन श्रेणियों में आंतरिक आरक्षण का प्रविधान किया गया है। एमबीसी (वन्नियाकुल क्षत्रिय) के लिए 10.5 फीसद, डीसी के लिए सात फीसद, जिसमें इसी से मिलते जुलते एमबीसी समुदाय भी शामिल हैं और डीसी के आरक्षण में शामिल नहीं होने वाले एमबीसी समुदाय के लिए 2.5 फीसद आरक्षण की व्यवस्था है। वन्नियाकुल क्षत्रिय समुदाय में वन्नियार, वन्निया, वन्निया गाउंडर, गाउंडर, पल्ली, अग्निकुला क्षत्रिय और पडयाची समुदाय शामिल हैं।
तमिलनाडु में 69 फीसद आरक्षण के खिलाफ सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट तमिलनाडु में रोजगार और शिक्षा में अनुसूचित जातियों (एससी), अनुसूचित जनजातियों (एसटी) और पिछड़ा वर्ग को 69 फीसद आरक्षण देने के खिलाफ सुनवाई को तैयार हो गया है। इससे जुड़े 1993 के तमिलनाडु सरकार के कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर शीर्ष अदालत पांच मार्च को सुनवाई करेगी।
जस्टिस एएम खानविल्कर और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने शुक्रवार को पाया कि तमिलनाडु आरक्षण कानून के खिलाफ दायर इसी तरह की एक याचिका 2012 से लंबित है। पीठ ने दिनेश बी की तरफ से दायर नई याचिका को उसी के साथ संलग्न करने का आदेश दिया।