तमिलनाडु के मछुआरों ने पनामा के पोत के खिलाफ कार्रवाई की मांग की

कन्याकुमारी और कोलाचिल इलाकों के मछुआरा संगठन ने तमिलनाडु तट के समीप मछली पकड़ने वाली नौका को टक्कर मारने वाले पनामा-ध्वज वाले पोत के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। पनामा ध्वज वाला पोत कोलाचिल तट से 20 नाटिकल मील दूर मछली पकड़ने वाली नौका से टकरा गया था।

By Pooja SinghEdited By: Publish:Mon, 25 Oct 2021 08:32 AM (IST) Updated:Mon, 25 Oct 2021 08:32 AM (IST)
तमिलनाडु के मछुआरों ने पनामा के पोत के खिलाफ कार्रवाई की मांग की
तमिलनाडु के मछुआरों ने पनामा के पोत के खिलाफ कार्रवाई की मांग की

चेन्नई, आइएएनएस। कन्याकुमारी और कोलाचिल इलाकों के मछुआरा संगठन ने तमिलनाडु तट के समीप मछली पकड़ने वाली नौका को टक्कर मारने वाले पनामा-ध्वज वाले पोत के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। बता दें कि पनामा ध्वज वाला पोत कोलाचिल तट से 20 नाटिकल मील दूर मछली पकड़ने वाली नौका से टकरा गया था। हादसे में 17 मछुआरे गंभीर रूप से घायल हो गए। इनमें से दो 60 वर्षीय अरुल राज और 50 वर्षीय चिन्नादुरई की हालत गंभीर बताई जा रही है। दोनों को केरल के तिरुअनंतपुरम सरकारी मेडिकल कालेज में भर्ती कराया गया है। अन्य 15 मछुआरे कोलाचिल सरकारी अस्पताल में भर्ती हैं।

नौका पर सवार मछुआरों में से एक ने बताया कि वे नाव में सो रहे थे तभी जहाज ने टक्कर मार दी और सभी लोग समुद्र में गिर गए। उन्हें मछली पकड़ने वाली दूसरी नौकाओं ने बचा लिया। मछुआरों ने कहा कि सिंगापुर से आ रहा पनामा ध्वज वाला पोत नहीं रुका और मुंबई की ओर निकल गया।

मीनावर ओरुनगिनैप्पु संगम के सचिव चा‌र्ल्स जानसन ने पनामा ध्वज वाले पोत के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि पनामा ध्वज वाला पोत 25 अक्टूबर को मुंबई पहुंचने वाला है। कानूनी कार्रवाई किए जाने और मछुआरों को उचित मुआवजा भुगतान कराए जाने तक अधिकारी पोत को जाने की इजाजत नहीं दें। दक्षिण एशियाई मछुआरा बिरादरी (एसएएफएफ) के महासचिव फादर चर्चिल ने भी विदेशी जहाज के कर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।

उधर, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने दिल्ली, ओडिशा, राजस्थान तथा हरियाणा के मुख्यमंत्रियों से आग्रह किया कि वे पटाखों की बिक्री पर लगे प्रतिबंध को हटाने पर पुनर्विचार करें और ग्रीन पटाखों की बिक्री की अनुमति दें। चार राज्यों के मुख्यमंत्रियों को लिखे पत्र में स्टालिन ने कहा कि राज्य में पटाखा निर्माण उद्योग में शामिल लगभग आठ लाख श्रमिकों की आजीविका मुश्किल के दौर में है।

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