और मजबूत हुआ तालिबान, भारत की बढ़ी चिंता, हिंसक हालात को लेकर जयशंकर ने पाकिस्तान पर उठाई अंगुली
मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अफगानिस्तान के हालात पर एक खास चर्चा आयोजित की गई जिसमें एस जयशंकर ने तालिबान की आड़ में पाकिस्तान की चालबाजी पर परोक्ष तौर पर निशाना साधा। जयशंकर ने कहा कि अफगानिस्तान के भीतर भी और उसके आसपास भी शांति की जरूरत है।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। अफगानिस्तान से अधिकांश अमेरिकी सेना के लौटने के साथ ही वहां तालिबान के नेतृत्व में जबरदस्त हिंसा का दौर शुरू हो गया है। मंगलवार शाम तक तालिबानी आतंकियों की फौज कई बड़े जिलों के मुख्यालय पर काबिज हो चुकी है। बदलते हालात देख भारत की चिंता बढ़ गई है। माना जा रहा है कि भारत ने तालिबान के एक धड़े से संपर्क भी साधा है ताकि अगर भविष्य में तालिबान वहां सत्ता में काबिज होता है तब उसके पास भी वार्ता का माध्यम रहे। हालांकि भारत अमेरिका व रूस समेत दूसरे सहयोगी देशों के साथ इसी कोशिश में है कि अफगानिस्तान में अस्थिरता को देखते हुए वहां संयुक्त राष्ट्र की अगुआई में शांति स्थापित करने की कोशिश हो और जो लोकतांत्रिक व्यवस्था पिछले दो दशकों में तैयार की गई है उसे आगे भी बना कर रखा जाए।
मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अफगानिस्तान के हालात पर एक खास चर्चा आयोजित की गई जिसमें विदेश मंत्री एस जयशंकर ने तालिबान की आड़ में पाकिस्तान की चालबाजी पर परोक्ष तौर पर निशाना साधा। जयशंकर ने कहा कि अफगानिस्तान के भीतर भी और उसके आसपास भी शांति की जरूरत है।
आतंकी संगठनों के ठिकानों को ध्वस्त करना जरूरी
विदेश मंत्री जयशंकर ने पाकिस्तान का नाम नहीं लिया, लेकिन उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में स्थायी शांति के लिए वहां आतंकी वारदातों को अंजाम देने वाले संगठनों के सुरक्षित ठिकानों को शीघ्रता से ध्वस्त करना बेहद जरूरी है। सीमा पार से आतंक को बढ़ावा देने वाले समेत हर तरह के आतंक को लेकर जीरो-टालरेंस की नीति अपनाने की जरूरत है। यह बहुत जरूरी है कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल किसी तरह के आतंकी वारदातों के लिए न हो। जो लोग वहां आतंकियों को बढ़ावा देते हैं या उन्हें धन उपलब्ध कराते हैं, उन पर लगाम लगाना भी उतना ही जरूरी है।
विदेश मंत्री ने आर्थिक प्रगति पर दिया जोर
जयशंकर ने अफगानिस्तान की आर्थिक प्रगति की जरूरत पर जोर दिया और इसके लिए उसे बंदरगाहों तक पहुंच देने की वकालत की और कहा कि अफगानिस्तान को समुद्री मार्ग से जोड़ने में जो बाधाएं खड़ी की गई हैं उन्हें जल्द से जल्द दूर किया जाना चाहिए। अफगानिस्तान को सामान की आपूर्ति करने की गारंटी होनी चाहिए। जयशंकर ने यह मुद्दा भी पाकिस्तान के संदर्भ में ही उठाया जिसने भारत से अफगानिस्तान को सड़क मार्ग से वस्तु पहुंचाने में कई तरह की बाधाएं खड़ी कर दी हैं। पाकिस्तान की वजह से भारत अफगानिस्तान तक माल पहुंचाने में ईरान के चाबहार पोर्ट का इस्तेमाल करता है।
हिंसा रोकने के लिए आगे आए यूएनएससी
जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र में इस मुद्दे को उठाया कि अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने के लिए वहां चल रही वार्ता असफल हो गई है। एक मई, 2021 के बाद (अमेरिकी सेना की वापसी शुरू) जिस तरह से अफगानिस्तान में हिंसा बढ़ी है, इसे रेखांकित करते हुए जयशंकर ने कहा कि वहां धार्मिक अल्पसंख्यकों, स्कूली छात्राओं, अफगानिस्तानी सेना, उलेमाओं, पत्रकारों तथा महिला अधिकारियों पर हमले बढ़ गए हैं। यह जरूरी है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) वहां स्थायी सीजफायर की व्यवस्था करे ताकि ¨हसा में कमी हो व आम जनता की जान बचे।
पाकिस्तान का बदला रवैया
सनद रहे कि इस बैठक में अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मुहम्मद हनीफ अतमार ने भी यही मांग रखी है कि यूएनएससी की अगुआई में सीजफायर की घोषणा हो। हालांकि उधर, पाकिस्तान का रवैया पूरी तरह से बदला दिखाई दे रहा है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने अफगानिस्तान में जारी हिंसा के लिए तालिबान को जिम्मेदार ठहराने से साफ इन्कार कर दिया है जबकि स्वयं तालिबान की तरफ से कई शहरों में अफगानिस्तान के सैनिकों पर हमला करने की जम्मेदारी ली जा रही है।
भारत की परियोजनाओं को खतरा
भारत की बढ़ती चिंता की वजह यह है कि पूर्व में जब तालिबान ने अफगानिस्तान में सत्ता हथियाई थी तो भारत को काफी नुकसान हुआ था। वहां 550 छोटी-बड़ी परियोजनाओं में भारत तीन अरब डॉलर से ज्यादा राशि लगा चुका है। अफगानिस्तान में लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए और उसे अंतरराष्ट्रीय कारोबार में स्थापित करने के लिए भी भारत ने काफी कुछ किया है। दूसरी तरफ पाकिस्तान समर्थन वाले तालिबान के आने से इन सभी परियोजनाओं पर पानी फिर सकता है। पाकिस्तान तालिबान का इस्तेमाल कर भारत के हितों को नुकसान पहुंचा सकता है।