हाथ-पैर सुन्न हो रहे हों, तो हो जाएं सतर्क; इस बीमारी की है दस्‍तक

Symptoms Causes and Prevention of Slipped Disc स्लिप डिस्क की समस्या को दूर करने में माइक्रो एंडोस्कोपिक डिस्क सर्जरी कारगर और सुरक्षित साबित हो रही है...

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Fri, 06 Dec 2019 03:41 PM (IST) Updated:Sat, 07 Dec 2019 12:02 PM (IST)
हाथ-पैर सुन्न हो रहे हों, तो हो जाएं सतर्क; इस बीमारी की है दस्‍तक
हाथ-पैर सुन्न हो रहे हों, तो हो जाएं सतर्क; इस बीमारी की है दस्‍तक

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। Symptoms Causes and Prevention of a Slipped Disc स्लिप डिस्क के अनेक ऐसे मरीज हैं, जिन्हें फिजियोथेरेपी और दवाओं से राहत नहीं मिल पाती है। ऐसे मरीजों के लिए माइक्रो एंडोस्कोपिक डिस्क सर्जरी राहत की नई किरण लेकर आई है। परंपरागत ओपन डिस्क सर्जरी की तुलना में माइक्रो एंडोस्कोपिक डिस्क सर्जरी कहीं ज्यादा सुरक्षित एवं कारगर है।

समस्या का स्वरूप

रीढ़ की हड्डियों में इंटर- वर्टिबल डिस्क स्थित होती हैं। इंटर वर्टिबल डिस्क हड्डियों के बीच में स्प्रिंग की तरह कार्य करती है। जिस तरह से कार के शॉकर झटकों को बर्दाश्त करते हैं, उसी तरह वर्टिबल डिस्क भी शरीर के लिए शॉक एब्जॉर्बर का कार्य करती है। इस डिस्क के मध्य में जेल जैसा एक पदार्थ पाया जाता है। इस पदार्थ को न्यूक्लियस पल्पोसस कहा जाता है और जो कार्टिलेज के टिश्यूज और कैप से सुरक्षित होती है जिसे एनूलस फाइब्रोसस कहते हैं।

आधुनिक सर्जरी की विशेषताएं

रक्त का नुकसान नहीं होता। कोई जोखिम या साइड-इफेक्ट नहीं होता। इस सर्जरी में संक्रमण की आशंका नहीं होती। सर्जरी की सफलता दर 92 प्रतिशत से अधिक है। अस्पताल में एक दिन से ज्यादा भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ती। ओपन सर्जरी के तुलना में इस सर्जरी में नसों को नुकसान नहीं पहुंचता है।

कभी-कभी इस सख्त कैप में विकार आ जाता है और इसकी संरचना बिगड़ जाती है और ये कमजोर हो जाती है। इस स्थिति के कारण न्यूक्लिसस पल्पोसस में स्थित अंदरूनी जेल का रिसाव होने लगता है और यह स्थिति इंटर-वर्टिबल डिस्क के पीछे से गुजर रही नसों को दबाती है। धीरे- धीरे यह जेल रिसने एवं फूलने लगता है। इसका आकार बड़ा होने लगता है और यह स्टोन की तरह सख्त हो जाता है। समय के साथ यह स्टोन रीढ़ की नसों को नष्ट करने लगता है। कालांतर में यह स्थिति स्लिप डिस्क की समस्या पैदा करती है।

स्लिप डिस्क के लक्षण कंधे या कूल्हों में तेज दर्द होना। टहलने में तकलीफ महसूस करना। कमर के निचले भाग में तेज दर्द होना। किसी वस्तु को पकड़ने में कठिनाई महसूस करना। हाथों या पैरों में सुन्नपन या भारीपन महसूस होना। पैर में तेज दर्द होना जिसे सायटिका का दर्द कहते हैं। कभी-कभी पैरों में तेज बिजली जैसी संवेदना महसूस होती है।

स्पाइन केयर

[डॉ.सुदीप जैन स्पाइन सर्जन, नई दिल्ली]

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