कोरोना पीड़ि‍त की आत्महत्या को भी माना जाए महामारी से मौत, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से विचार करने को कहा

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसका विचार है कि आत्महत्या से कोरोना रोगियों की मृत्यु को कोविड डेथ माना जाना चाहिए। सर्वोच्‍च अदालत ने कहा कि सरकार को भी अपने नए दिशानिर्देशों में ऐसी मौतों को कोविड डेथ के तौर पर शामिल नहीं करने के फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Mon, 13 Sep 2021 06:35 PM (IST) Updated:Mon, 13 Sep 2021 11:45 PM (IST)
कोरोना पीड़ि‍त की आत्महत्या को भी माना जाए महामारी से मौत, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से विचार करने को कहा
सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि आत्महत्या से कोरोना रोगियों की मृत्यु को कोविड डेथ माना जाना चाहिए।

नई दिल्‍ली, जेएनएन। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि कोरोना पीडि़त व्यक्ति द्वारा की गई आत्महत्या को भी कोरोना से मौत माना जाना चाहिए। सरकार कोरोना से मौत के मामले में जारी दिशानिर्देशों में इसे भी कोरोना से मौत में शामिल करने पर विचार करे। कोर्ट ने कोरोना से मौत के मामले में सरकार द्वारा तय किये गए दिशानिर्देशों पर संतुष्टि जताते हुए सरकार से कुछ पहलुओं पर विचार करने को कहा है।

मुआवजे पर दिशा-निर्देश तैयार करने के लिए दिया समय 

इसके साथ ही कोर्ट ने कोरोना से मौत पर मुआवजा देने के बारे में दिशानिर्देश तय करके अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कुछ और समय दे दिया है। ये निर्देश जस्टिस एमआर शाह की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ ने वकील गौरव कुमार बंसल की याचिका पर दिये। इस मामले में कोर्ट ने गत 30 जून को विस्तृत आदेश दिए थे। जिसमें केंद्र को कोरोना से मौत के मामले में अनुग्रह राशि दिए जाने के बारे में दिशा निर्देश तय करने का आदेश दिया था।

सरकार ने दाखिल की थी अनुपालन रिपोर्ट 

अदालत ने कहा था कि कोरोना से मौत के मामले में मौत का कारण कोरोना दर्ज होना चाहिए ताकि मरने वाले के परिजनों को घोषित योजनाओं का लाभ मिल सके। कोर्ट ने पहले जारी हो चुके मृत्यु प्रमाणपत्रों में भी सुधार के लिए एक तंत्र बनाने को कहा था। आदेश पर आंशिक अमल करते हुए पिछले सप्ताह सरकार ने कोरोना से मौत के मामले में प्रमाणपत्र जारी करने के दिशानिर्देश जारी किए थे जिन्हें अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करके कोर्ट मे पेश किया था।

इन्‍हें कोरोना से मौत नहीं माना 

सरकार की ओर से जारी दिशा निर्देशों के मुताबिक जहर से हुई मौत, हत्या, आत्महत्या और दुर्घटना से मौत को कोरोना से मौत नहीं माने जाने की बात कही गई है। सोमवार को सुनवाई के दौरान पीठ ने केंद्र की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि हमने आपकी अनुपालन रिपोर्ट देखी है।

कोरोना मरीज की आत्‍महत्‍या को माना जाए कोविड डेथ  

शीर्ष अदालत ने कहा कि रिपोर्ट ठीक है लेकिन कुछ मुद्दे ऐसे हैं जिन पर पुनर्विचार की जरूरत है। जैसे की आत्महत्या। अगर किसी कोरोना पीडि़त ने आत्महत्या की है तो उसका क्या। साफ तौर पर आत्महत्या के मामलों को कोरोना से मौत न मानना ठीक नहीं होगा। जहां आत्महत्या का कारण कोरोना था यानी व्यक्ति कोरोना पीडि़त था उसे कोरोना से मौत माना जाना चाहिए। इसके अलावा सरकार यह भी बताये कि कमेटी कब बनेगी।

सरकार दाखिल करेेेगी अनुपालन रिपोर्ट  

बंसल ने ऐसी आत्महत्या को कोरोना से मौत मानने की मांग की। पीठ ने कहा कि सरकार इन मुद्दों पर विचार करके कोर्ट को 23 सितंबर को बताएगी साथ ही सरकार कोरोना से मौत के मामले में अनुग्रह राशि देने के आदेश की भी अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करेगी। मामले पर कोर्ट 23 सितंबर को फिर सुनवाई होगी।

इन सवालों की ओर किया इशारा 

सुनवाई के दौरान अदालत ने कुछ मुद्दों की ओर इशारा किया जैसे कि उन कोरोना मरीजों के बारे में जिन्‍होंने आत्महत्या कर के जान दे दी और दूसरा यह कि राज्य केंद्र सरकार द्वारा जारी नीति को कैसे लागू करेंगे। सर्वोच्‍च अदालत की पीठ ने यह भी पूछा कि जो मृत्‍यु प्रमाणपत्र पहले ही जारी किए जा चुके हैं उनका क्या होगा। यही नहीं अस्पतालों की ओर से उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों का क्या होगा।

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