सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को आरक्षण को चुनौती वाली याचिका की सुनवाई पर लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (Economically Weaker Sections EWS) के उम्मीदवारों को नौकरियों और एडमिशन में 10 फीसद आरक्षण देने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर केरल हाईकोर्ट में कार्यवाही पर रोक लगा दी है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Fri, 24 Sep 2021 05:01 PM (IST) Updated:Fri, 24 Sep 2021 05:22 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को आरक्षण को चुनौती वाली याचिका की सुनवाई पर लगाई रोक
सुप्रीम कोर्ट ने कमजोर वर्गों को आरक्षण देने के मामले में केरल हाईकोर्ट में कार्यवाही पर रोक लगा दी है।

नई दिल्‍ली, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (Economically Weaker Sections, EWS) के उम्मीदवारों को नौकरियों और एडमिशन में 10 फीसद आरक्षण देने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर केरल हाईकोर्ट में कार्यवाही पर रोक लगा दी है। सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने केंद्र सरकार की ओर से दाखिल याचिका पर नोटिस भी जारी किया। सरकार की ओर से दाखिल याचिका में मामले को हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित करने की गुजारिश की गई है।  

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने केंद्र द्वारा दाखिल याचिका पर नोटिस भी जारी किया, जिसमें मामले को उच्च न्यायालय से शीर्ष अदालत में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया गया है। शीर्ष अदालत ने पूर्व में इसी तरह के मामले को पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के समक्ष भेज दिया था। बता दें कि नुजैम पीके ने केरल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करके केंद्र सरकार के उक्‍त फैसले को चुनौती दी है।

नुजैम पीके की ओर से दलील दी गई है कि यह फैसला संविधान की मूल संरचना का उल्लंघन करता है। केरल हाईकोर्ट में दाखिल इस याचिका पर केंद्र सरकार की ओर से सालिसिटर जनरल तुषार मेहता सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए। उन्‍होंने सर्वोच्‍च न्‍यायालय से केरल हाईकोर्ट में चल रही कार्यवाही पर रोक लगाने के अलावा नुजैम पीके को नोटिस देने की गुजारिश की। केंद्र सरकार की ओर से याचिका में दलील दी गई है कि रिट याचिका में उठाए गए सवाल भी सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित याचिकाओं के समान हैं।

केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केरल हाईकोर्ट में लंबित याचिका का स्थानांतरण बेहद जरूरी है क्योंकि इसी तरह की याचिका और कानून की वैधता को चुनौती देने वाली अन्य संबंधित अर्जियां सर्वोच्‍च अदालत के समक्ष ही लंबित हैं। उक्त रिट याचिका को सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित करने से सभी मामलों पर एक साथ सुनवाई हो सकेगी। सभी मामलों पर एक साथ सुनवाई से विभिन्न अदालतों की ओर से असंगत आदेश पारित होने की संभावना से बचा जा सकेगा।

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