प्रोन्नति में आरक्षण के लिए निश्चित और निर्णायक आधार तय करे सुप्रीम कोर्ट : केंद्र सरकार

केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए प्रोन्नतियों (प्रमोशन) में आरक्षण लागू करने के लिए केंद्र सरकार व राज्यों के लिए निश्चित और निर्णायक आधार तय करे।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Tue, 26 Oct 2021 11:05 PM (IST) Updated:Tue, 26 Oct 2021 11:05 PM (IST)
प्रोन्नति में आरक्षण के लिए निश्चित और निर्णायक आधार तय करे सुप्रीम कोर्ट : केंद्र सरकार
सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए प्रोन्नतियों (प्रमोशन) में आरक्षण

 नई दिल्ली, प्रेट्र। केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए प्रोन्नतियों (प्रमोशन) में आरक्षण लागू करने के लिए केंद्र सरकार व राज्यों के लिए निश्चित और निर्णायक आधार तय करे। शीर्ष कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। केंद्र सरकार की ओर से पेश अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने जस्टिस एल. नागेश्वर राव, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बीआर गवई की पीठ से कहा कि वर्षों तक एससी-एसटी मुख्यधारा से अलग हाशिए पर रहे हैं और देशहित में उन्हें समान अवसर देने के लिए हमें इक्वालाइजर (आरक्षण के रूप में) लाना होगा।

शीर्ष कोर्ट ने दलीलें सुनने के बाद सुरक्षित किया फैसला

उन्होंने कहा, 'अगर आप केंद्र और राज्यों के लिए निश्चित और निर्णायक आधार तय नहीं करेंगे तो बड़ी संख्या में याचिकाएं दाखिल हो जाएंगी। इस मुद्दे पर कभी विराम नहीं लग पाएगा क्योंकि आरक्षण का सिद्धांत क्या होगा। जब तक योग्यता आधार है, हम सीटें नहीं भर सकते।' वेणुगोपाल ने कहा, 'हमें एक सिद्धांत की जरूरत है जिस पर आरक्षण दिया जा सके। अगर इसे राज्यों पर छोड़ दिया गया तो मुझे कैसे पता चलेगा कि कब यह पर्याप्त है। अपर्याप्त क्या है। यह बड़ी समस्या है।'

अटार्नी जनरल ने कहा, एससी-एसटी के संबंध में इस बारे में कोई विवाद नहीं है कि सैकड़ों साल के दमन की वजह से उन्हें योग्यता के अभाव से उबरने के लिए सकारात्मक कार्रवाई और बराबरी का मौका देना होगा। उन्होंने कहा, 'पिछले सात दशकों में केंद्र सरकार और राज्यों द्वारा शिक्षा और नौकरियों में क्या किया गया है? अदालत को देखना होगा कि क्या उन चीजों ने काम किया है। अगर वह संतोषजनक नहीं है तो वैकल्पिक तरीका सुझाना और मानक तय करने के तरीके का निर्देश देना अदालत का कर्तव्य है। जो निश्चित और निर्णायक हो।'

कहा, देश में पिछड़े वर्ग के 52 प्रतिशत लोग

वेणुगोपाल ने यह भी कहा कि देश में पिछड़े वर्ग के 52 प्रतिशत लोग है। उन्होंने कहा, 'अगर आप अनुपात को लें तो 74.5 प्रतिशत आरक्षण देना होगा, लेकिन हमने इसकी सीमा 50 प्रतिशत तय की हुई है।' नौ राज्यों से जुटाए आंकड़ों का हवाला देते हुए अटार्नी जनरल ने कहा कि उन्हें बराबरी पर लाने के लिए सभी ने एक सिद्धांत का पालन किया है ताकि योग्यता के अभाव में उन्हें मुख्यधारा में आने से वंचित नहीं किया जा सके।

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