सुप्रीम कोर्ट ने शहरी विकास मंत्रालय से पुनर्वास नीति का ब्योरा मांगा, रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण से जुड़ा है मामला

रेलवे की ओर से पेश अतिरिक्त सालिसिटर जनरल केएम नटराज ने सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा पहले दिए गए एक आदेश का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि शहरी विकास मंत्रालय को वर्ष 2015 में दिल्ली में अधिसूचित नीति पर कोई आपत्ति नहीं है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Mon, 29 Nov 2021 09:38 PM (IST) Updated:Mon, 29 Nov 2021 09:38 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने शहरी विकास मंत्रालय से पुनर्वास नीति का ब्योरा मांगा, रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण से जुड़ा है मामला
हरियाणा व गुजरात में रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण से जुड़ा मामला

नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को शहरी विकास मंत्रालय से पूछा कि गुजरात व हरियाणा में रेलवे की भूमि पर झुग्गियों में रहने वालों के पुनर्वास के लिए उसके पास कोई नीति है अथवा नहीं। जस्टिस एएम खानविल्कर व जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ गुजरात व हरियाणा में रेलवे की भूमि से अतिक्रमण को हटाने से संबंधित दो अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। इस दौरान रेल मंत्रालय ने कहा कि उसने शीर्ष अदालत व हाई कोर्ट में बराबर इस तथ्य को स्पष्ट किया है कि रेलवे की जमीन पर अवैध कब्जा करने वालों के पुनर्वास के लिए उसके पास कोई नीति नहीं है।

रेलवे की ओर से पेश अतिरिक्त सालिसिटर जनरल केएम नटराज ने सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा पहले दिए गए एक आदेश का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि शहरी विकास मंत्रालय को वर्ष 2015 में दिल्ली में अधिसूचित नीति पर कोई आपत्ति नहीं है। इस पर पीठ ने टिप्पणी की, 'इसलिए मंत्रालय इस नीति को रेलवे की संपत्तियों तक विस्तार देने के लिए राजी हो गया था।'

मंत्रालय को लेनी चाहिए उसी प्रकार की नीति वहां लागू करने की जिम्मेदारी 

नटराज की इस दलील पर कि संबंधित राज्यों को पुनर्वास नीति लानी चाहिए, पीठ ने कहा, 'शहरी विकास मंत्रालय व आप दोनों भारत सरकार हैं। इसलिए मंत्रालय को उसी प्रकार की नीति वहां लागू करने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।' पीठ ने कहा कि वह जानना चाहती है कि जैसा प्रविधान दिल्ली में है, क्या वैसी ही व्यवस्था मंत्रालय द्वारा गुजरात व हरियाणा में की जा सकती है। इस पर नटराज ने कहा कि वह इस मुद्दे पर निर्देश लेकर न्यायालय को सूचित करेंगे। इसके साथ ही कोर्ट ने मामले को तीन दिसंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया।

हरियाणा के फरीदाबाद में रेल पटरियों के किनारे की झुग्गियों को गिराए जाने से संबंधित याचिका में पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट के 28 सितंबर के अंतरिम आदेश को चुनौती दी गई है। हाई कोर्ट ने झुग्गियां गिराने के आदेश पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया था।

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