निजी अस्पतालों में मरीजों के इलाज की अधिकतम फीस तय करे केंद्र, SC ने हफ्ते भर में मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को देश के निजी अस्पतालों में COVID-19 मरीजों के इलाज के खर्च की मांग करने वाली जनहित याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा।

By Shashank PandeyEdited By: Publish:Fri, 05 Jun 2020 12:07 PM (IST) Updated:Fri, 05 Jun 2020 12:23 PM (IST)
निजी अस्पतालों में मरीजों के इलाज की अधिकतम फीस तय करे केंद्र, SC ने हफ्ते भर में मांगा जवाब
निजी अस्पतालों में मरीजों के इलाज की अधिकतम फीस तय करे केंद्र, SC ने हफ्ते भर में मांगा जवाब

नई दिल्ली, माला दीक्षित। सुप्रीम कोर्ट निजी अस्पतालों में कोरोना के इलाज की अधिकतम सीमा तय करने की मांग पर विचार करेगा। कोर्ट ने अविशेक गोयनका की इस याचिका पर केंद्र सरकार से 1 हफ्ते में जवाब मांगा है।सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना के मरीजों का इलाज कर रहे प्राइवेट अस्पतालों में अधिकतम फीस तय करने के लिए केंद्र से जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए एक सप्ताह के भीतर केंद्र की ओर से जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की प्रतिक्रिया की मांग करते हुए निजी अस्पतालों द्वारा COVID-19 मरीजों का इलाज करने के लिए ली जा रही फीस की ऊपरी सीमा निर्धारित करने की मांग की है।

सुप्रीम कोर्ट निजी अस्पतालों में कोरोना के इलाज की अधिकतम सीमा तय करने की मांग पर विचार करेगा। कोर्ट ने अविशेक गोयनका की इस याचिका पर केंद्र सरकार से 1 हफ्ते में जवाब मांगा है।@JagranNews — Mala Dixit (@mdixitjagran) June 5, 2020

धर्मार्थ या बहुत रियायती दर पर जमीन लेने वाले अस्पतालों में कोरोना का इलाज मुफ्त या कम कीमत पर किए जाने की मांग पर भी सुप्रीम कोर्ट 2 हफ्ते बाद सुनवाई करेगा। सचिन जैन की दायर याचिका पर आज हुई सुनवाई में सरकार और अस्पतालों ने कहा कि पहले ही आयुष्मान भारत योजना लागू है।

धर्मार्थ या बहुत रियायती दर पर जमीन लेने वाले अस्पतालों में कोरोना का इलाज मुफ्त या कम कीमत पर किए जाने की मांग पर भी सुप्रीम कोर्ट 2 हफ्ते बाद सुनवाई करेगा। आज हुई सुनवाई में सरकार और अस्पतालों ने कहा कि पहले ही आयुष्मान भारत योजना लागू है।यह याचिका सचिन जैन की है।@JagranNews

— Mala Dixit (@mdixitjagran) June 5, 2020

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को देश के निजी अस्पतालों में COVID-19 मरीजों के इलाज के खर्च की मांग करने वाली जनहित याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा। न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने अविषेक गोयनका द्वारा निजी अस्पतालों द्वारा COVID-19 उपचार की ऊपरी सीमा तय करने के लिए दायर जनहित याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया।

अदालत ने कहा कि जनहित याचिका की कॉपी सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को दी जानी चाहिए, जो इस मुद्दे पर निर्देश देंगे और एक सप्ताह में जवाब देंगे। इस याचिका में संक्रमित लोगों के लिए भुगतान के आधार पर इस तरह की सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए एक विकल्प के साथ प्राइवेट क्वारंटाइन सुविधाओं और अस्पतालों की संख्या बढ़ाने की भी मांग की गई है और कहा गया है कि वर्तमान में इस तरह का विकल्प मरीजों को नहीं दिया जाता है।

यह भी कहा गया कि सरकार को ऐसी सुविधाओं के समान मानकों के लिए इलाज की सांकेतिक दरों को ठीक करने के लिए अस्पतालों से कहना चाहिए। याचिका में कहा गया है कि बीमा कंपनियों द्वारा मेडिक्लेम का समयबद्ध निपटान किया जाना चाहिए और सभी बीमित रोगियों को कैशलेस उपचार की सुविधा दी जानी चाहिए।

वहीं सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को निजी अस्पतालों से पूछा कि क्या वे सरकार की आयुष्मान भारत योजना के तहत निर्धारित शुल्क पर COVID -19 संक्रमित मरीजों को इलाज देने के लिए तैयार हैं। आयुष्मान भारत - प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना’ का उद्देश्य देश के गरीब और कमजोर व्यक्तियों को स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान करना है। मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत सभी निजी अस्पतालों को निश्चित संख्या में COVID -19 मरीजों का मुफ्त में इलाज करने के लिए नहीं कह रही है।

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