एक साल से भी अधिक समय से जमानत याचिका लंबित रहने पर सुप्रीम कोर्ट खफा

अदालत अक्सर ऐसे मामलों की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के पारित अंतरिम आदेश पर टिप्पणी नहीं करता है। लेकिन खंडपीठ ने कहा कि वह यह देखकर स्तब्ध है कि सीआरपीसी की धारा 439 के तहत उसकी सुनवाई एक साल से भी अधिक समय से नहीं हो सकी है।

By Manish PandeyEdited By: Publish:Thu, 17 Jun 2021 07:30 AM (IST) Updated:Thu, 17 Jun 2021 07:30 AM (IST)
एक साल से भी अधिक समय से जमानत याचिका लंबित रहने पर सुप्रीम कोर्ट खफा
एक साल से भी अधिक समय से पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में यह जमानत याचिका लंबित है।

नई दिल्ली, आइएएनएस। सुप्रीम कोर्ट में एक साल से भी अधिक समय से जमानत याचिका सूचीबद्ध नहीं होने के चलते सर्वोच्च अदालत ने कड़ा एतराज जताया है। सीआरपीसी की धारा 439 के तहत इसे एक साल से भी अधिक समय से पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में यह जमानत याचिका लंबित है।

जस्टिस हेमंत गुप्ता व वी. रामासुब्रह्मण्यन की खंडपीठ ने कहा कि आरोपित को भी जमानत की याचिका पर सुनवाई का पूरा अधिकार है। बल्कि उसकी सुनवाई से इन्कार करना उसके अधिकारों का उल्लंघन और आजादी के अधिकार को बाधित करना है।

सर्वोच्च अदालत अक्सर ऐसे मामलों की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के पारित अंतरिम आदेश पर टिप्पणी नहीं करता है। लेकिन खंडपीठ ने कहा कि वह यह देखकर स्तब्ध है कि सीआरपीसी की धारा 439 के तहत उसकी सुनवाई एक साल से भी अधिक समय से नहीं हो सकी है।                                                                

सर्वोच्च अदालत चुन्नी लाल गाबा की दायर विशेष अनुमति याचिका की सुनवाई कर रही थी। गाबा की यह याचिका 28 फरवरी, 2020 से लंबित है। यह कहा जा रहा है कि वैश्विक महामारी के दौर में भी वैकल्पिक व्यवस्था के तहत आधे से अधिक जज सुनवाई के लिए बैठ सकते हैं। फिर उसकी जमानत याचिका को सूचीबद्ध क्यों नहीं किया गया।

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