सुप्रीम कोर्ट बोला- ड्रग्स रैकेट में लिप्त लोग रहम के हकदार नहीं, गरीब आदमी के नाम पर नहीं कर सकते रहम

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मादक पदार्थों का कारोबार करने वाले लोग सीधे तौर पर मासूम पीडि़तों की मौत का कारण बनते हैं। सिर्फ इस बिनाह पर किसी को कम सजा नहीं दी जा सकती है कि वह गरीब आदमी है और अपने परिवार का अकेला कमाने वाला है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Sun, 18 Apr 2021 10:45 PM (IST) Updated:Sun, 18 Apr 2021 10:45 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट बोला- ड्रग्स रैकेट में लिप्त लोग रहम के हकदार नहीं, गरीब आदमी के नाम पर नहीं कर सकते रहम
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मादक पदार्थों के तस्‍कर तौर पर मासूम पीडि़तों की मौत का कारण बनते हैं।

नई दिल्ली, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मादक पदार्थों का कारोबार करने वाले लोग सीधे तौर पर मासूम पीडि़तों की मौत का कारण बनते हैं। सिर्फ इस बिनाह पर किसी को कम सजा नहीं दी जा सकती है कि वह गरीब आदमी है और अपने परिवार का अकेला कमाने वाला है। कोर्ट ने कहा कि ड्रग्स रैकेट में लिप्त लोग रहम के हकदार नहीं हैं।

डीवाइ चंद्रचूड़ और एमआर शाह की खंडपीठ ने नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीसी) एक्ट के तहत सजा सुनाते हुए कहा कि पूरे समाज के हित को ध्यान में रखते हुए इस पर विचार करने की जरूरत है। खंडपीठ ने कहा कि अंडरव‌र्ल्ड की संगठित गतिविधियां, देश में अवैध मादक पदार्थो की तस्करी और किशोरवय के लोगों समेत बड़ी तादाद में लोगों को जानलेवा नशे का आदी बनाना हाल के सालों में काफी बढ़ गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी गुरदेव सिंह की अपील पर की जिन्होंने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। हाई कोर्ट ने इस फैसले में 15 साल की कैद की सजा सुनाई थी और दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। आरोपित के वकील ने इस सजा का विरोध करते हुए दलील दी कि न्यूनतम दस साल की कैद की सजा से कहीं अधिक है और विशेष कोर्ट व हाई कोर्ट ने इतनी कठोर सजा की कोई वाजिब वजह नहीं बताई है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि आरोपित को पहली बार दोषी ठहराया गया है। वह गरीब है और घर में अकेला कमाने वाला है।

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