दोषारोपण के बजाय व्यवस्था ठीक करने के लिए हो जनहित याचिका, सुप्रीम कोर्ट की नसीहत, जानें पूरा मामला

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि हर जगह समस्याएं हैं। हमें उनका समाधान तलाश करना चाहिए। हमें जनहित याचिका (पीआइएल) के तंत्र का इस्तेमाल किसी को दोष देने के बजाय व्यवस्था को मजबूत करने के लिए करना चाहिए।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Wed, 22 Sep 2021 08:15 PM (IST) Updated:Wed, 22 Sep 2021 08:20 PM (IST)
दोषारोपण के बजाय व्यवस्था ठीक करने के लिए हो जनहित याचिका, सुप्रीम कोर्ट की नसीहत, जानें पूरा मामला
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि जनहित याचिका के तंत्र का इस्तेमाल व्यवस्था को मजबूत करने के लिए करना चाहिए।

नई दिल्ली, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि हर जगह समस्याएं हैं। हमें उनका समाधान तलाश करना चाहिए। हमें जनहित याचिका (पीआइएल) के तंत्र का इस्तेमाल किसी को दोष देने के बजाय व्यवस्था को मजबूत करने के लिए करना चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि व्यवस्था में खामियां निकालना आजकल एक चलन बन गया है लेकिन समस्याओं पर चर्चा करने और व्यवस्था को दोष देने के बजाय हमें इनके समाधान की तलाश करनी होगी।

जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि हर जगह समस्याएं हैं। हमें इन्हें पहचानना चाहिए। हमें व्यवस्था को मजबूत करने के लिए जनहित याचिका तंत्र का उपयोग करना है, न कि किसी को दोष देने के लिए। यह पीठ दिव्यांग बच्चों बच्चों को गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण और शिक्षा देने के लिए प्रशिक्षित विशेष शिक्षकों की नियुक्ति के लिए दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील शोएब आलम से पीठ ने कहा कि उसने मामले में उठाई गई समस्या की गंभीरता को ध्यान में रखा है। यह देखना होगा कि बुनियादी ढांचे में कैसे सुधार किया जा सकता है। इस पीठ में जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और सीटी रविकुमार भी शामिल हैं।

पीठ ने कहा कि हर जगह बहुतेरी समस्याएं हैं। अकेले संस्थानों के बारे में क्या बात करें। हमारी प्रणाली के बारे में भी हर कोई बात कर रहा है। हम उस तरह से आगे नहीं बढ़ रहे हैं जैसे हमें होना चाहिए। यदि अदालतें काम नहीं कर रही हैं और समय से न्याय नहीं दे पा रही हैं तो कानून का शासन, केवल एक अभिव्यक्ति बन कर रह जाएगा।

जस्टिस खानविलकर ने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट की स्थिति को देखें। हमें ऐसा कहना नहीं चाहिए लेकिन जब मैं वहां प्रैक्टिस कर रहा था तो मैंने सुना था कि जिंदगी और मौत से जुड़े मामलों में भी आपराधिक अपील में 20 साल लग जाते हैं। जब वकील ने कहा कि स्थिति अभी भी नहीं बदली है, तो पीठ ने भी कहा कि इसमें सुधार नहीं हो रहा है। पीठ ने कहा कि केवल समस्याओं पर चर्चा करने के बजाय हमें समाधान तलाशना होगा।

पीठ ने यह टिप्पणी तब की जब आलम यह तर्क दे रहे थे कि यह दिखाने के लिए आंकड़े हैं कि कैसे विशेष शिक्षक खास परिस्थितियों के कारण स्कूल छोड़ रहे हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि अधिकारियों के पास संसाधनों की समस्या है और विशेष शिक्षकों के रूप में नियुक्त करने के लिए पर्याप्त संख्या में कर्मी उपलब्ध नहीं हैं। पीठ ने कहा कि मुद्दा समस्या का समाधान खोजने का है।

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