हजारों फूल खिलने दें, जहां से भी संभव हो ज्ञान को आने दें, कोरोना तैयारियों पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी, जानें पूरा मामला

हजारों फूल खिलने दें ज्ञान को किसी भी स्रोत से आने दें सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को यह टिप्पणी एक राजनीतिक दल को कोरोना की तैयारियों पर एक स्वत संज्ञान मामले में हस्तक्षेप करने और अपने सुझाव देने की अनुमति देने के दौरान की।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Thu, 16 Sep 2021 08:03 PM (IST) Updated:Thu, 16 Sep 2021 08:07 PM (IST)
हजारों फूल खिलने दें, जहां से भी संभव हो ज्ञान को आने दें, कोरोना तैयारियों पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी, जानें पूरा मामला
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा- हजारों फूल खिलने दें, ज्ञान को किसी भी स्रोत से आने दें...

नई दिल्ली, पीटीआइ। हजारों फूल खिलने दें, ज्ञान को किसी भी स्रोत से आने दें सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को यह टिप्पणी एक राजनीतिक दल को कोरोना की तैयारियों पर एक स्वत: संज्ञान मामले में हस्तक्षेप करने और अपने सुझाव देने की अनुमति देने के दौरान की। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी आफ इंडिया (एसडीपीआइ) द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर विचार करने से इन्कार कर दिया।

इसमें पूरे देश के लिए एक समान मुक्त कोरोना टीकाकरण नीति लागू करने और वायरस के प्रभाव का पता लगाने के सुझाव देने के लिए महामारी विज्ञानियों और वायरोलाजिस्ट का एक पैनल स्थापित करने का निर्देश देने आग्रह किया गया था। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर के बीच दायर जनहित याचिका पर हमारे आदेशों के माध्यम से आपका उद्देश्य पूरा किया गया है।

पीठ ने कहा कि हम पहले ही कोरोना तैयारियों पर स्वत: संज्ञान मामले में आदेश पारित कर चुके हैं। आप चाहें तो उस मामले में हस्तक्षेप कर सकते हैं और अपने सुझाव दे सकते हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हालांकि वैश्विक राजनीतिक इतिहास में हजारों फूल खिलने दो का उल्लेख एक अलग संदर्भ में इस्तेमाल किया गया था, लेकिन इसे विभिन्न संदर्भो में यहां इस्तेमाल किया जा सकता है।

1957 में चीनी नेता माओत्से तुंग ने देश की राजनीतिक व्यवस्था पर बुद्धिजीवियों के विभिन्न विचारों को आमंत्रित करने के लिए पहली बार सौ फूल खिलने दो उक्ति का इस्तेमाल किया था। जस्टिस चंद्रचूड़ ने एसडीपीआइ की ओर से पेश वकील ए सेल्विन राजा से कहा कि आप उस मामले में अपने सुझाव दे सकते हैं। हम आपको हस्तक्षेप की अनुमति देंगे। आपका स्वागत है।

पीठ ने अपने आदेश में उल्लेख किया कि स्वत: संज्ञान मामले में 10 मई को दायर की गई याचिका में कोरोना तैयारियों पर पारित कई आदेशों द्वारा चिंताओं का ध्यान रखा गया था।

शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता इस स्तर पर याचिका पर दबाव नहीं डालता है। वह स्वत: संज्ञान की कार्यवाही में अदालत की सहायता करने के लिए स्वतंत्र है। अगर भविष्य में जरूरत पड़ी तो वह मामले में हस्तक्षेप कर सकता है। याचिका का निपटारा करते हुए पीठ ने राजा से कहा कि अदालत द्वारा गठित राष्ट्रीय कार्य बल में देश भर के डाक्टर हैं और वे अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ हैं। केंद्रीय कैबिनेट सचिव इसके संयोजक हैं। 

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