अपराध के दौरान पहली बार दिखे आरोपित की पहचान कमजोर साक्ष्य, सुप्रीम कोर्ट ने किस मामले में की यह टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी गवाह का अदालत में ऐसे आरोपित की पहचान करना जिसे उसने पहली बार अपराध के दौरान ही देखा हो एक कमजोर साक्ष्य है। जानें देश की सर्वोच्‍च अदालत ने किस मामले में की यह टिप्‍पणी...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Sat, 23 Oct 2021 07:58 PM (IST) Updated:Sat, 23 Oct 2021 08:17 PM (IST)
अपराध के दौरान पहली बार दिखे आरोपित की पहचान कमजोर साक्ष्य, सुप्रीम कोर्ट ने किस मामले में की यह टिप्पणी
अदालत में ऐसे आरोपित की पहचान करना, जिसे उसने पहली बार अपराध के दौरान ही देखा हो, कमजोर साक्ष्य है।

नई दिल्ली, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी गवाह का अदालत में ऐसे आरोपित की पहचान करना, जिसे उसने पहली बार अपराध के दौरान ही देखा हो, कमजोर साक्ष्य है। खासकर उस स्थिति में जब अपराध और बयान दर्ज होने की तारीखों में लंबा फासला हो। सर्वोच्च न्यायालय ने यह टिप्पणी उन चार लोगों की अपील पर की, जिन्हें स्पिरिट की ढुलाई करने पर केरल आबकारी अधिनियम की धारा 55 (ए) के तहत दोषी ठहराया गया था।

गवाह की गवाही को खारिज किया

अभियोजन पक्ष का आरोप था कि चारों लोगों ने एक ट्रक में प्लास्टिक के 174 डिब्बों में 6,090 लीटर स्पिरिट की बिना अनुमति के ढुलाई की और ट्रक का रजिस्ट्रेशन नंबर नकली था। सुप्रीम कोर्ट ने एक गवाह की गवाही को खारिज कर दिया, क्योंकि उसने कहा था कि वह ऐसे लोगों की पहचान करने में सक्षम नहीं है, जिन्हें उसने 11 साल पहले देखा था।

यह एक कमजोर साक्ष्‍य

हालांकि गवाह ने दो आरोपितों को पहचान लिया था, जिन्हें उसने घटना की तारीख पर 11 साल से भी अधिक समय पहले पहली बार देखा था। जस्टिस अजय रस्तोगी और अभय एस ओका की पीठ ने कहा कि किसी गवाह द्वारा अदालत में ऐसे आरोपित की पहचान करना, जिसे उसने पहली बार अपराध के दौरान ही देखा हो, कमजोर साक्ष्य है।

आरोपियों को बरी किया

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- खासकर तब जब अपराध और बयानों के दर्ज होने की तारीखों में लंबा अंतराल हो। पीठ ने आरोपितों को बरी करते हुए कहा, अभियोजन पक्ष ने ट्रक का असली रजिस्ट्रेशन नंबर और उसके असली मालिक के बारे में साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया। इसलिए अभियोजन का पूरा मामला संदिग्ध हो जाता है। 

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