सुप्रीम कोर्ट ने कहा- प्रत्यक्षदर्शियों के बयान दर्ज कराने में देरी गवाही खारिज करने की वजह नहीं हो सकती

सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में कहा है कि केवल प्रत्यक्षदर्शियों के बयान रिकार्ड करने में देरी की वजह से उनकी गवाही को खारिज नहीं किया जा सकता है। इसके साथ ही अदालत ने दोषसिद्धि को चुनौती देने वाली दोषियों की याचिका खारिज कर दी।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Sat, 16 Oct 2021 04:49 PM (IST) Updated:Sat, 16 Oct 2021 05:15 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- प्रत्यक्षदर्शियों के बयान दर्ज कराने में देरी गवाही खारिज करने की वजह नहीं हो सकती
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बयान रिकार्ड करने में देरी की वजह से गवाही खारिज नहीं की जा सकती है।

नई दिल्‍ली, एजेंसियां। सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में कहा है कि केवल प्रत्यक्षदर्शियों के बयान रिकार्ड करने में देरी की वजह से उनकी गवाही को खारिज नहीं किया जा सकता है। इसके साथ ही न्यायमूर्ति यूयू ललित, न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट्ट और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने हत्या के मामले में चार लोगों की दोषसिद्धि को चुनौती देने वाली दोषियों की याचिका खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि उसके सामने लाए गए तथ्‍य साबित करते हैं कि आरोपी ने गवाहों में भय पैदा किया। 

न्यायमूर्ति यूयू ललित की अध्यक्षता वाली इस पीठ ने कहा कि भले ही इस मामले में प्रत्यक्षदर्शियों के बयान रिकॉर्ड कराने में देरी हुई है लेकिन केवल इस आधार पर गवाही को खारिज नहीं किया जा सकता है। ऐसे में जब गवाह आतंकित... डरे हुए थे और कुछ समय तक वे सामने नहीं आए तो इसको उनके बयान दर्ज कराने में देरी नहीं माना जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट चार आरोपियों की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रहा था। आरोपियों ने कलकत्ता हाईकोर्ट के उनकी अपीलों को खारिज करने और सत्र न्यायाधीश द्वारा की गई दोषसिद्धि को चुनौती दी थी। आरोपियों की ओर से दलील दी गई थी कि दो प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों को दर्ज करने में देरी हुई जो मामले में अभियोजन पक्ष के लिए नुकसानदायक होगा। यही नहीं इस बारे में कोई सफाई नहीं दी गई है कि गवाहों के बयान दर्ज करने में देरी क्यों हुई।

आरोपियों की ओर से यह भी दलील दी गई कि दो प्रत्यक्षदर्शियों की गवाही के अलावा अपराध को साबित करने के लिए कोई दूसरे सबूत नहीं हैं। वहीं सरकारी वकील की ओर से कहा गया कि आरोपियों का खौफ और दबदबा ऐसा है कि हत्‍या के इस मामले में गवाह भाग गए थे। जांच अधिकारियों द्वारा जब आरोपियों की गिरफ्तारी हुई और अन्य दूसरे कदम उठाए गए तो गवाहों में भय कुछ कम हुआ और वह सामने आए।

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