सुप्रीम कोर्ट ने कहा- राज्य सरकारों की वर्षो की उदासीनता से दबाव में है अधीनस्थ न्यायपालिका

अधीनस्थ न्यायपालिका में बुनियादी ढांचा के विकास के लिए उठाए गए कदमों और न्यायिक अधिकारियों एवं सहयोगी कर्मचारियों की नियुक्ति की शीर्ष कोर्ट निगरानी कर रहा है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Wed, 20 Feb 2019 01:17 AM (IST) Updated:Wed, 20 Feb 2019 01:17 AM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- राज्य सरकारों की वर्षो की उदासीनता से दबाव में है अधीनस्थ न्यायपालिका
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- राज्य सरकारों की वर्षो की उदासीनता से दबाव में है अधीनस्थ न्यायपालिका

नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि विभिन्न राज्य सरकार की वर्षो की उदासीनता के कारण एक ऐसी स्थिति पैदा हो गई है कि अधीनस्थ न्यायपालिका भारी दबाव में काम कर रही है। न्यायाधीशों की संख्या अपर्याप्त है और बुनियादी ढांचा चरमराया हुआ है।

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, 'न्यायपालिका के प्रति वर्षो से उदासीनता बरती गई है। उपयुक्त माहौल मुहैया नहीं कराया गया लेकिन यह काम कर रही है।'

न्यायाधीशों की संख्या अपर्याप्त और बुनियादी ढांचा चरमराया हुआ है

अधीनस्थ न्यायपालिका में बुनियादी ढांचा के विकास के लिए उठाए गए कदमों और न्यायिक अधिकारियों एवं सहयोगी कर्मचारियों की नियुक्ति की शीर्ष कोर्ट निगरानी कर रहा है। मंगलवार को कोर्ट ने कर्नाटक, केरल, राजस्थान, सिक्किम, तेलंगाना, त्रिपुरा और उत्तराखंड में हुई प्रगति की जांच की। इस पीठ में जस्टिस एलएन राव और जस्टिस संजीव खन्ना भी शामिल हैं। राजस्थान सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर पीठ ने टिप्पणी की।

राजस्थान के बारे में पीठ ने कहा कि बुनियादी ढांचा की हालत संतोष जनक नहीं है। पीठ ने राजस्थान सरकार से तीन महीने के भीतर न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति और अदालतों के बुनियादी ढांचा के विकास के मुद्दे पर जानकारी देने को कहा।

उत्तराखंड के मुद्दे पर पीठ ने हैरत जताई कि राज्य सरकार केंद्र से मिले कोष के इस्तेमाल के बारे में सूचना देने से आनाकानी कर रही है। कोर्ट में मौजूद उप मुख्य सचिव से पीठ ने सक्षम अधिकारी को केंद्रीय कोष का इस्तेमाल प्रमाण पत्र पेश करने को कहा ताकि उद्देश्य के लिए अतिरिक्त केंद्रीय कोष जारी हो सके। 

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