सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की मुकदमों को सूचीबद्ध करने में भेदभाव के आरोपों वाली याचिका

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मुकदमों को सूचीबद्ध करने में शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री के अधिकारियों पर भेदभाव का आरोप लगाने वाली याचिका आखिरकार खारिज कर दी है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Mon, 06 Jul 2020 04:48 PM (IST) Updated:Mon, 06 Jul 2020 05:03 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की मुकदमों को सूचीबद्ध करने में भेदभाव के आरोपों वाली याचिका
सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की मुकदमों को सूचीबद्ध करने में भेदभाव के आरोपों वाली याचिका

नई दिल्ली, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मुकदमों को सूचीबद्ध करने में शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री के अधिकारियों पर भेदभाव का आरोप लगाने वाली याचिका आखिरकार सोमवार को खारिज कर दी। यही नहीं अदालत ने दुराग्रह का आरोप लगाने वाले वकील पर 100 रुपये का प्रतीकात्‍मक जुर्माना भी लगाया। न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा (Arun Mishra) और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर (SA Nazeer) की पीठ ने अधिवक्ता रीपल कंसल (Reepal Kansal) की जनहित याचिका खारिज कर दी। साथ ही इस तरह की याचिका दायर करने पर अधिवक्ता पर जुर्माना भी लगाया।

अधिवक्‍ता रीपल कंसल (Reepal Kansal) ने कहा कि तकनीकी गड़बड़ी की वजह से पीठ ने अपना फैसला नहीं सुनाया जिसकी जानकारी उनको टेलीफोन के जरिए दी गई। उन्‍होंने बताया कि शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि इन आरोपों का कोई भी आधार नहीं है। याचिकाकर्ता कंसल ने आरोप लगाया था कि कोरोना महामारी के मुश्किल वक्‍त में शीर्ष अदालत में याचिकाओं को सूचीबद्ध करने के मामले में प्रभावशाली वकीलों और याचिकाकर्ताओं को ही प्राथमिकता दी जा रही है। बीते दिनों सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत (Supreme Court) ने याचिकाकर्ता के आरोपों पर नाराजगी जताई थी। शीर्ष अदालत ने कंसल की याचिका पर 19 जून को सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।

बीते दिनों मामले की सुनवाई के दौरान सर्वोच्‍च न्यायालय (Supreme Court) ने कहा था कि उसकी रजिस्ट्री वादियों और अधिवक्ताओं की मदद के लिए दिन रात काम कर रही है। याचिका में सर्वोच्‍च न्‍यायालय से गुहार लगाई गई थी कि वह अदालत के सिक्रे‍टरी जनरल एवं अन्‍य अध‍िकारियों को निर्देश जारी करे कि मामलों की लिस्‍ट‍िंग में कम प्रभावशाली वकीलों और याचिकाकर्ताओं से भेदभाव बंद किया जाए। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया था कि ऐसे रजिस्‍ट्री अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की कोई व्‍यवस्‍था नहीं है जो कथित तौर पर लॉ फर्म और प्रभावशाली वकीलों के पक्ष में काम करते हैं। 

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