सुप्रीम कोर्ट की राय, आपराधिक जांच में मजिस्ट्रेटों को शामिल किया जाए

स्वत संज्ञान मामले में प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे जस्टिस एल. नागेश्वर राव और जस्टिस एस. रविंद्र भट की विशेष पीठ ने मौखिक टिप्पणी की कहा- आपराधिक जांच में मजिस्ट्रेटों को शामिल किया जाए इससे व्यवस्था में बढ़ेगा लोगों का भरोसा।

By Nitin AroraEdited By: Publish:Thu, 25 Feb 2021 08:06 AM (IST) Updated:Thu, 25 Feb 2021 08:06 AM (IST)
सुप्रीम कोर्ट की राय, आपराधिक जांच में मजिस्ट्रेटों को शामिल किया जाए
सुप्रीम कोर्ट की राय, आपराधिक जांच में मजिस्ट्रेटों को शामिल किया जाए

नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राय दी कि आपराधिक मामलों में पुलिस जांच की निगरानी करने और साक्ष्यों को एकत्रित करने में न्यायिक मजिस्ट्रेटों को शामिल किया जाए। इससे व्यवस्था में लोगों का विश्वास बढ़ेगा।

यह मौखिक टिप्पणी प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस एल. नागेश्वर राव और जस्टिस एस. रविंद्र भट की विशेष पीठ ने की। इसके साथ ही पीठ ने देश में आपराधिक मुकदमों के दौरान कमियों और अपर्याप्तता से जुड़े 2017 के स्वत: संज्ञान मामले पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। इस मामले में पीठ ने आपराधिक नियमावली (मैनुअल) और नियमों में संशोधन का प्रस्ताव किया है जिन्हें हाई कोर्टो के नियमों में शामिल किया जा सकता है। पीठ ने कहा, 'पुलिस जांच में जांच टीम वारदात स्थल पर जाती है और महत्वपूर्ण साक्ष्यों को जुटाना भूल जाती है। अगर मजिस्ट्रेट इससे जुड़ा होगा तो पुलिस में जिम्मेदारी की भावना ज्यादा होगी।' वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई के दौरान पीठ ने यह भी कहा कि मजिस्ट्रेटों की भागीदारी से जांच प्रणाली में लोगों का भरोसा बढ़ सकता है।

न्यायमित्र के रूप में पीठ की मदद कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता आर. वसंत ने कहा कि यह खतरनाक रास्ते पर चलने जैसा होगा क्योंकि निर्णायकों और जांचकर्ताओं की भूमिकाएं मिल जाएंगी। आर. वसंत के अलावा वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा और के. परमेश्वर भी इस मामले में न्यायमित्र के रूप में अदालत की मदद कर रहे हैं। पीठ ने आपराधिक न्याय प्रणाली को ज्यादा कुशल बनाने के लिए आपराधिक नियमावली के मसौदे के प्रविधानों पर उनके साथ चर्चा भी की। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह गवाहों को निचली अदालत में आकर पेश होने से रोकेगा अगर निर्धारित तिथि पर उनके बयान रिकार्ड होने की संभावना नहीं है। इससे न्याय प्रणाली गवाहों के ज्यादा अनुकूल बनेगी।

इससे पहले, शीर्ष अदालत ने पाया कि आपराधिक मुकदमों में कुछ कमियां और अपर्याप्तता विभिन्न हाई कोर्टो द्वारा निर्मित नियमों से जुड़ी हुई थीं। अदालत का कहना था, 'बहरहाल, नियमों का मसौदा तैयार करना जरूरी पाया गया जिन्हें हाई कोर्टो के वर्तमान नियमों में शामिल किया जा सकता है। तदनुसार, देशभर में समान सर्वश्रेष्ठ चलन के लिए आपराधिक नियमावली में संशोधन पर आम सहमति बनाने के लिए इस अदालत ने सभी हाई कोर्टो के रजिस्ट्रार जनरल, सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों व प्रशासकों, राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के एडवोकेट जनरल और स्थायी वकीलों को नोटिस जारी किए थे।' शीर्ष अदालत ने हाई कोर्टो को आपराधिक नियमों के मसौदे पर रजिस्ट्रार जनरल के जरिये अपने जवाब दाखिल करने के निर्देश भी दिए थे।

chat bot
आपका साथी