झारखंड में कोयले की ढुलाई मामले में केंद्र को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

शीर्ष अदालत ने एनजीटी के आदेश के एक हिस्से पर रोक भी लगा दी जिसमें नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन (एनटीपीसी) को तीन महीने के भीतर कोयले के स्थानांतरण के लिए झारखंड में हजारीबाग जिले के बड़कागांव में कन्वेयर बेल्ट स्थापित करने के निर्देश दिए गए थे।

By Nitin AroraEdited By: Publish:Sat, 23 Oct 2021 09:37 AM (IST) Updated:Sat, 23 Oct 2021 09:37 AM (IST)
झारखंड में कोयले की ढुलाई मामले में केंद्र को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस
झारखंड में कोयले की ढुलाई मामले में केंद्र को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

नई दिल्ली, प्रेट्र। झारखंड के हजारीबाग जिले में कोयले की अवैध ढुलाई और उसके भंडारण से संबंधित नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) के आदेश के खिलाफ अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और अन्य से जवाब तलब किया है। शीर्ष अदालत ने एनजीटी के आदेश के एक हिस्से पर रोक भी लगा दी जिसमें नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन (एनटीपीसी) को तीन महीने के भीतर कोयले के स्थानांतरण के लिए झारखंड में हजारीबाग जिले के बड़कागांव में कन्वेयर बेल्ट स्थापित करने के निर्देश दिए गए थे ताकि सड़क के जरिये कोयले की ढुलाई से बचा जा सके।

जस्टिस एसए नजीर और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने एनजीटी के छह जनवरी के आदेश को चुनौती देने वाली एनटीपीसी की याचिका पर रेल मंत्रालय, झारखंड सरकार, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और अन्य को नोटिस जारी किए। साथ ही पीठ ने कन्वेयर बेल्ट स्थापित करने की समयसीमा निर्धारित करने संबंधी एनजीटी के निर्देश पर अगले आदेश तक रोक भी लगा दी।

पिछले साल जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने कोयला खदानों की नीलामी को चुनौती देने वाली झारखंड सरकार की याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। केंद्र ने 41 कोयला खदानों की नीलामी का फैसला लिया था, जिसमें से की 9 खदाने झारखंड में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 41 कोयला ब्लाकों की वर्चुअल नीलामी की प्रक्रिया शुरू की थी जिसपर झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने रोक लगाने की मांग की थी। झारखंड सरकार का कहना था कि दुनिया भर में फैले महामारी के कारण इन खदानों की नीलामी का उचित मूल्य नहीं मिलेगा, इसके अलावा कोयला खदानों के व्यावसायिक खनन से आदिवासियों की जिंदगी भी प्रभावित होगी।

कोर्ट ने केंद्र को झारखंड सरकार द्वारा दायर याचिका पर जवाब देने का निर्देश दिया था। इसमें केंद्र द्वारा कामर्शियल उद्देश्यों के लिए राज्य में नौ कोयला ब्लाक की नीलामी के फैसले को चुनौती दी गई थी। राज्य सरकार ने कहा था कि कोयला खनन का झारखंड की विशाल आबादी और वन भूमि पर पड़ने वाले सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभाव के निष्पक्ष मूल्यांकन की आवश्यकता है। साथ ही राज्य सरकार ने कहा था कि केंद्र के नीलामी के फैसले से इन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है।

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