इसरो जासूसी मामला: वैज्ञानिक को फंसाने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सीबीआइ जांच के आदेश

इसरो जासूसी मामले में वैज्ञानिक नारायणन बरी बरी हो चुके हैं। कोर्ट ने 14 सितंबर 2018 को समिति गठित करते हुए केरल सरकार से मुआवजे के रूप में वैज्ञानिक को 50 लाख रुपये देने का निर्देश दिया था।

By Manish PandeyEdited By: Publish:Thu, 15 Apr 2021 12:34 PM (IST) Updated:Thu, 15 Apr 2021 01:40 PM (IST)
इसरो जासूसी मामला: वैज्ञानिक को फंसाने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सीबीआइ जांच के आदेश
इसरो जासूसी मामले में केंद्र सरकार की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने विचार किया।

नई दिल्ली, माला दीक्षित। इसरो के वैज्ञानिक नंबी नारायणन से जुड़े जासूसी मामले में केंद्र सरकार की तरफ से दायर एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को सुनवाई की। जासूसी कांड में पूर्व वैज्ञानिक को फंसाने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कोर्ट ने सीबीआइ जांच के आदेश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआइ से 3 महीने में रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने जैन समिति की रिपोर्ट को प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के रूप में मानने के लिए सीबीआइ के निदेशक/कार्यवाहक निदेशक को आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि अभी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जाएगी।

इस मामले में गलती करने वाले पुलिस अधिकारियों की भूमिका पर उच्च-स्तरीय समिति की रिपोर्ट पर कोर्ट ने विचार किया। गौरतलब है कि  इस जासूसी मामले में वैज्ञानिक नारायणन बरी ना सिर्फ बरी हो चुके हैं बल्कि शीर्ष अदालत ने केरल सरकार को मुआवजे के रूप में उन्हें 50 लाख रुपये देने को भी कहा है।

जासूसी के इस मामले आरोप था कि भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम से जुड़े कुछ गोपनीय दस्तावेजों को दो वैज्ञानिकों और मालदीव की दो महिलाओं सहित चार अन्य ने दूसरे देशों को भेजा है। इस मामले में वैज्ञानिक नारायणन को गिरफ्तार किया गया था। उस वक्त केरल में कांग्रेस की सरकार थी। वहीं, सीबीआइ ने अपनी जांच में कहा था कि 1994 में केरल पुलिस के शीर्ष अधिकारी नारायणन की गैरकानूनी गिरफ्तारी के लिए जिम्मेदार थे।

बता दें कि तीन सदस्यीय जांच पैनल ने सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट हाल ही में शीर्ष अदालत को सौंपी है। वहीं, सीबीआइ ने अपनी जांच में कहा था कि 1994 में केरल पुलिस के शीर्ष अधिकारी नारायणन की गैरकानूनी गिरफ्तारी के लिए जिम्मेदार थे। अदालत ने उन अधिकारियों के खिलाफ उचित कदम उठाने का निर्देश दिया था जिनके कारण नारायणन को उत्पीड़न और बेइज्जती का सामना करना था।

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