सुप्रीम कोर्ट ने मानहानि मामले में टीवी एंकर अमीश देवगन की संरक्षण अवधि बढ़ाई

जस्टिस एएम खानविलकर और दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने एक और एफआइआर दर्ज किए जाने के तथ्य को ध्यान में लिया।

By Dhyanendra SinghEdited By: Publish:Thu, 06 Aug 2020 08:36 PM (IST) Updated:Thu, 06 Aug 2020 08:36 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने मानहानि मामले में टीवी एंकर अमीश देवगन की संरक्षण अवधि बढ़ाई
सुप्रीम कोर्ट ने मानहानि मामले में टीवी एंकर अमीश देवगन की संरक्षण अवधि बढ़ाई

नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने टीवी एंकर अमीश देवगन को मानहानि मामले में दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षण की अवधि अगली सुनवाई तक के लिए बढ़ा दी है। 15 जून को एक टीवी कार्यक्रम में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के बारे में की गई टिप्पणी को लेकर टीवी एंकर के खिलाफ मानहानि के मामले दर्ज हैं। टीवी एंकर ने अपनी याचिका में मामले रद करने, जांच बंद करने और दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षण देने की मांग की है। याचिका पर 31 अगस्त से शुरू होने वाले सप्ताह में सुनवाई होगी।

जस्टिस एएम खानविलकर और दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने एक और एफआइआर दर्ज किए जाने के तथ्य को ध्यान में लिया। देवगन के खिलाफ पांच एफआइआर पहले से ही दर्ज हैं। जबलपुर, मध्य प्रदेश में दर्ज नई एफआइआर नोएडा, उत्तर प्रदेश स्थानांतरित की जा चुकी है।

यूपी सरकार से एक सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा मांगा

वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा और मृणाल भाटी ने बताया कि टीवी एंकर की ओर से संशोधित याचिका दाखिल कराई जाएगी। पीठ ने एंकर को संशोधित याचिका दाखिल करने की अनुमति दी है। कोर्ट ने नोटिस जारी कर नए शिकायतकर्ता और उत्तर प्रदेश सरकार से एक सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा मांगा है।

बता दें कि मानहानि मामले में अमीश के खिलाफ राजस्थान, महाराष्ट्र व तेलंगाना में मुकदमे दर्ज हैं। हालांकि, अमीश ने कथित विवादित टिप्पणी के लिए माफी मांग ली है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर उनके खिलाफ चल रहे आपराधिक मामले पर रोक व उसे निरस्त करने की मांग की थी।                      

गौरतलब है कि अमीश के खिलाफ राजस्थान के अजमेर और कोटा में दो एफआईआर दर्ज की गई हैं और एक हैदराबाद के बहादुरपुरा में दर्ज की गई। याचिका में कहा गया है कि इस तरह की दो एफआईआर महाराष्ट्र के नांदेड़ और पीधोनी में भी दर्ज की गई हैं। देवगन ने कहा कि उन्होंने पहले ही एक ट्वीट और अधिक जानकारी के माध्यम से स्पष्टीकरण जारी कर दिया है, त्रुटियों को अपराध नहीं माना जा सकता है।

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