IIT में आत्महत्याओं को लेकर दायर याचिका SC ने की खारिज, याचिकाकर्ता पर लगाया जुर्माना
सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के आईआईटी में आत्महत्या की रोकथाम पर दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि ये बेहद ही अपमानजनक है और साथ ही 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया।
नई दिल्ली, एएनआइ। देशभर में आईआईटी में आत्महत्याओं के मामलों की रोकथाम के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के आईआईटी में आत्महत्या की रोकथाम पर दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। न्यायमूर्ति रोहिंटन एफ नरीमन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने याचिका को खारिज करते हुए इसे पूरी तरह से अपमानजनक करार दिया और 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया।
अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि आईआईटी में आत्महत्याओं की संख्या बढ़ रही थी और मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम की धारा 29 को लागू करने की मांग की गई थी।न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कहा कि यह एक पूरी तरह से तुच्छ याचिका है। हमें बताएं कि हमें आप पर कितना जुर्माना लगाना चाहिए।
पीठ ने कहा कि हम इसे कानूनी सेवा प्राधिकरण के लिए देय लागत के रूप में 10,000 रुपये का जुर्माना लगाने के साथ ही याचिका को खारिज कर रहे हैं। पीठ में नवीन सिन्हा और इंदिरा बनर्जी भी शामिल थे।
बंसल ने संक्षिप्त सुनवाई के दौरान कहा कि पिछले पांच वर्षों में पूरे भारत में आईआईटी में आत्महत्या करने वाले लगभग 50 छात्रों की मृत्यु हो गई है और अदालत से अनुरोध किया गया है कि वे केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और आईआईटी को हस्तक्षेप करके 'छात्र कल्याण कार्यक्रम' बनाने और लागू करने का निर्देश दें। ।
वकील ने कहा कि छात्रों द्वारा आत्महत्या के कारण को देखने के लिए आईआईटी, कानपुर की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई , लेकिन स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। केंद्र के जवाब का उल्लेख करते हुए, अदालत ने कहा कि अधिकारी इस मुद्दे से अवगत थे।
याचिका में 13 आईआईटी को भविष्य की योजना, डिजाइन, तैयार करने और प्रभावी ढंग से लागू करने, छात्र स्वास्थ्य कल्याण कार्यक्रम को लागू करने और उनके संस्थानों के भीतर आत्महत्याओं की रोकथाम और कमी पर ध्यान केंद्रित करने के लिए दिशा-निर्देश मांगे गए थे।