सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्‍यों को तीन महीने के भीतर सूचना आयुक्तों को नियुक्‍त करने के दिए निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्‍यों को अपने सूचना आयोगों में तीन महीने के भीतर सूचना आयुक्तों (information commissioners) को नियुक्त करने का निर्देश जारी किया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Mon, 16 Dec 2019 01:39 PM (IST) Updated:Mon, 16 Dec 2019 01:43 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्‍यों को तीन महीने के भीतर सूचना आयुक्तों को नियुक्‍त करने के दिए निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्‍यों को तीन महीने के भीतर सूचना आयुक्तों को नियुक्‍त करने के दिए निर्देश

नई दिल्‍ली, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को केंद्र और राज्‍य सरकारों को केंद्रीय सूचना आयोग (Central Information Commission, CIC) और राज्य सूचना आयोगों (State Information Commissions) में तीन महीने के भीतर सूचना आयुक्तों (information commissioners) को नियुक्त करने का निर्देश जारी किया। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि सूचनाधिकार कानून (Right to Information Act) के दुरुपयोग को रोकने के लिए दिशानिर्देशों की जरूरत है।

मुख्‍य न्‍यायाधीश एसए बोबड़े (Chief Justice SA Bobde) की अध्‍यक्षता वाली पीठ ने अधिवक्‍ता प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan) की उन दलीलों पर गौर किया जिनमें कहा गया है कि शीर्ष अदालत के 15 फरवरी के फैसले के बावजूद केंद्र और राज्य सरकारों ने केंद्रीय सूचना आयोग और और राज्य सूचना आयोगों (State Information Commissions) में सूचना आयुक्तों की नियुक्ति नहीं की है। इस पर पीठ ने कहा कि हम आज से सूचना आयुक्तों की नियुक्ति को पूरा करने का निर्देश देते हैं।

इस पीठ में जस्टिस बीआर बीआर गवई और न्‍यायमूर्ति सूर्यकांत भी शामिल थे। पीठ ने अधिकारियों को दो हफ्ते के भीतर केंद्रीय सूचना आयोग के सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए सर्च कमेटी के सदस्यों के नाम वेबसाइट पर डालने का भी निर्देश दिया। सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने सूचनाधिकार कानून के दुरुपयोग के मसले पर भी चिंता जाहिर की और इस बारे में दिशानिर्देशों को विकसित करने की बात कही। अदालत ने कहा कि हम आरटीआइ एक्‍ट के खिलाफ नहीं हैं लेकिन हमें लगता है कि इसे रेगुलेट करने के लिए कुछ दिशानिर्देशों को विकसित किया जाना जरूरी है।

अदालत ने कहा कि ऐसे लोग जो किसी भी तरह से किसी मुद्दे से जुड़े नहीं हैं वे आरटीआई डालते हैं। यह कभी-कभी आपराधिक धमकी देने जैसा है जिसके लिए ब्लैकमेल सटीक शब्‍द होगा। अदालत अंजली भारद्वाज (Anjali Bhardwaj) के अंतरिम आवेदन पर सुनवाई कर रही थी जिसमें शीर्ष अदालत के पूर्व के आदेश के क्रियान्‍वयन की मांग की गई है। याचिका में अदालत से यह गुजारिश की गई थी कि वह निर्धारित समय के भीतर पारदर्शी तरीके से सूचना आयुक्तों की नियुक्ति‍ के निर्देश जारी करे। 

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