सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल सरकार से कहा- बिना किसी बहाने के एक राष्ट्र एक राशन कार्ड की व्‍यवस्‍था लागू करें

सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार से बिना किसी बहाने के तुरंत एक राष्ट्र-एक राशन कार्ड वाली व्‍यवस्‍था को लागू करने के लिए कहा है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि आप एक या दूसरी समस्या का हवाला नहीं दे सकते है। यह प्रवासी श्रमिकों के लिए है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Fri, 11 Jun 2021 04:04 PM (IST) Updated:Fri, 11 Jun 2021 04:04 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल सरकार से कहा- बिना किसी बहाने के एक राष्ट्र एक राशन कार्ड की व्‍यवस्‍था लागू करें
सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल सरकार से तुरंत एक राष्ट्र-एक राशन कार्ड वाली व्‍यवस्‍था लागू करने को कहा है।

नई दिल्‍ली, एजेंसियां। सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार से बिना किसी बहाने के तुरंत एक राष्ट्र-एक राशन कार्ड वाली व्‍यवस्‍था को लागू करने के लिए कहा है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि आप एक या दूसरी समस्या का हवाला नहीं दे सकते है। यह प्रवासी श्रमिकों के लिए है।

Supreme Court asks West Bengal government to implement one nation-one ration card immediately without any excuse.

"You can not cite one or the other problem. This is for migrant workers," Supreme Court says. pic.twitter.com/SmkYiy2X3f

— ANI (@ANI) June 11, 2021

हाल ही में दिल्ली में निरस्त हो चुकी 'घर घर राशन योजना' को लेकर चल रहे विवाद के बीच केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार से वन नेशन वन राशन कार्ड योजना को तुरंत लागू करने को कहा था। केंद्रीय उपभोक्ता मंत्रालय ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को लिखे पत्र में कहा था कि इस योजना को अविलंब लागू करें जिससे दिल्ली के कम से कम दस लाख आप्रवासी श्रमिकों को इसका तुरंत लाभ मिल सके।

बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह जनकल्‍याणकारी नीतियों के मसले पर मूकदर्शक नहीं रहेगा। नीतियों की न्यायिक समीक्षा उसका कर्तव्य है। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से वैक्सीन नीति से जुड़े कई सवाल पूछे। साथ ही राज्यों से हलफनामा भी मांगा है कि वह मुफ्त में जनता को वैक्सीन दे रही हैं या नहीं। केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा था कि टीकाकरण सरकार का नीतिगत मामला है और यह कार्यपालिका के दायरे में आता है अदालत को इसमें दखल नहीं देना चाहिए।

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि अधिकारों के बंटवारे से कोर्ट का नीतियों की समीक्षा करने का क्षेत्राधिकार खत्म नहीं होता। जब कार्यपालिका की नीतियों से नागरिकों के संवैधानिक अधिकार बाधित हो रहे हों तो उस स्थिति में संविधान ने कोर्ट को मूकदर्शक नहीं बनाए रखा है। नीतियों की न्यायिक समीक्षा करना अदालत की ड्यूटी है। मौजूदा वक्‍त में अदालत डायलाग ज्यूरीडिक्शन निभा रही है जिसमें लोग महामारी प्रबंधन से संबंधित परेशानियां लेकर आ रहे हैं।

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