देशभर में सामुदायिक रसोई की मांग संबंधी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई को राजी

सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को उस याचिका पर तत्काल सुनवाई के लिए राजी हो गया जिसमें भूख और कुपोषण से लड़ने के लिए देशभर में सामुदायिक रसोइयों की स्थापना के लिए योजना बनाने के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश देने की मांग की गई है।

By Pooja SinghEdited By: Publish:Sat, 23 Oct 2021 07:39 AM (IST) Updated:Sat, 23 Oct 2021 07:39 AM (IST)
देशभर में सामुदायिक रसोई की मांग संबंधी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई को राजी
देशभर में सामुदायिक रसोई की मांग संबंधी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई को राजी

नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को उस याचिका पर तत्काल सुनवाई के लिए राजी हो गया जिसमें भूख और कुपोषण से लड़ने के लिए देशभर में सामुदायिक रसोइयों की स्थापना के लिए योजना बनाने के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश देने की मांग की गई है।

प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ से अधिवक्ता आशिमा मंडला ने अनुरोध किया कि देश में जारी कोरोना महामारी के मद्देनजर यह मुद्दा बेहद अहम हो गया है। प्रधान न्यायाधीश ने इस जनहित याचिका पर सुनवाई की तारीख 27 अक्टूबर तय करते हुए कहा, 'मैं उस पीठ की अध्यक्षता कर रहा था जिसने इस पर नोटिस जारी किया था।'शीर्ष अदालत ने पिछले साल 17 फरवरी को जनहित याचिका पर हलफनामे दाखिल करने संबंधी निर्देशों का अनुपालन नहीं करने के लिए छह राज्यों पर पांच-पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। इन राज्यों में मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, ओडिशा, गोवा और दिल्ली शामिल थे।

उधर, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि शार्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) की 39 महिला अधिकारियों को सेना में स्थायी कमीशन देने संबंधी आदेश सात कार्य दिवसों में जारी किया जाए। साथ ही शीर्ष अदालत ने उन 25 महिला अधिकारियों का कारण सहित विवरण भी मांगा है जिन्हें स्थायी कमीशन देने पर विचार नहीं किया गया

केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि 72 महिला एसएससी अधिकारियों के हर मामले की फिर से पड़ताल की गई। इनमें से एक अधिकारी ने सेना छोड़ने का फैसला किया है। 39 अधिकारियों के नाम पर स्थायी कमीशन के लिए विचार किया जा सकता है। सात को चिकित्सकीय आधार पर अयोग्य पाया गया है। 25 अधिकारियों को स्थायी कमीशन नहीं दिया जा सकता क्योंकि उनके खिलाफ अनुशासनहीनता और आदेशों की अवहेलना की प्रतिकूल सालाना गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) है और उनकी संचालनात्मक (आपरेशनल) रिपोर्ट भी खराब है

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