केवल पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर किसी को नहीं ठहरा सकते धारा-302 के तहत दोषी, जानें सुप्रीम कोर्ट ने यह बात क्‍यों कही

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि केवल पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर किसी को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) व 201 (साक्ष्य मिटाना) के तहत दोषी नहीं ठहराया जा सकता। जानें किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यह बात कही...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Wed, 15 Sep 2021 10:32 PM (IST) Updated:Thu, 16 Sep 2021 01:02 AM (IST)
केवल पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर किसी को नहीं ठहरा सकते धारा-302 के तहत दोषी, जानें सुप्रीम कोर्ट ने यह बात क्‍यों कही
सुप्रीम कोर्ट बोला- केवल पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर धारा 302 के तहत किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता...

नई दिल्ली, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट ने पत्नी की हत्या में उम्रकैद की सजा पा चुके नागेंद्र साह को बरी करते हुए कहा कि अभियोजन द्वारा बताई गईं परिस्थितियां अपराध के लिए उन्हें दोषी साबित नहीं कर पातीं। जस्टिस अजय रस्तोगी व जस्टिस अभय एस. ओका की पीठ ने कहा कि केवल पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर किसी को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) व 201 (साक्ष्य मिटाना) के तहत दोषी नहीं ठहराया जा सकता।

पीठ ने कहा, 'अभियोजन द्वारा स्थापित परिस्थितियों से अपीलकर्ता के अपराध के संबंध में सिर्फ एक संभावित निष्कर्ष नहीं निकलता। प्राथमिकी दर्ज करने में देरी के लिए भी अभियोजन पक्ष की ओर से कोई स्पष्टीकरण पेश नहीं किया गया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट 18 नवंबर, 2011 को उपलब्ध हो गई थी, लेकिन प्राथमिकी 25 अगस्त, 2012 को दर्ज की गई।'

शीर्ष अदालत ने कहा कि जब कोई मामला परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर टिका होता है और आरोपित साक्ष्य अधिनियम की धारा 106 के तहत अपने ऊपर लगे आरोपों का तार्किक जवाब देने में नाकाम रहता है तो ऐसी विफलता साक्ष्यों की श्रृंखला की एक अतिरिक्त कड़ी उपलब्ध करा सकती है। पीठ ने कहा कि न तो अभियोजन पक्ष के गवाहों ने गवाही दी और न ही कोई अन्य सामग्री सामने आई जो यह दर्शाती हो कि याचिकाकर्ता और उसकी पत्नी के बीच संबंध तनावपूर्ण थे।

शीर्ष अदालत ने कहा कि घटना के वक्त अपीलकर्ता के परिवार के अन्य सदस्यों की उपस्थिति यह दर्शाती है कि इसके पीछे कोई अन्य कहानी भी हो सकती है। कोर्ट ने कहा कि आरोपित नागेंद्र साह का अपराध साबित नहीं होता है, इसलिए उन्हें बरी किया जाता है।

अभियोजन के मुताबिक याचिकाकर्ता की पत्नी की मौत जलने के कारण हुई थी, जबकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक मौत का कारण गले के आसपास हाथ और अन्य भोथरी वस्तु से दबाव के कारण दम घुटना था। निचली अदालत ने वर्ष 2013 में नागेंद्र को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। पटना हाई कोर्ट ने वर्ष 2019 में इसे बरकरार रखते हुए आरोपित की अपील खारिज कर दी थी। 

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