कोरोना महामारी के चलते एमपी के सरकारी स्कूलों में 15 अप्रैल से 13 जून तक रहेगा ग्रीष्मकालीन अवकाश

कोरोना महामारी के कारण मध्यप्रदेश के पहली से आठवीं तक के सरकारी और अनुदान प्राप्त स्कूलों में 15 अप्रैल से 13 जून तक ग्रीष्मावकाश रहेगा। इन स्कूलों में पदस्थ सरकारी शिक्षकों के लिए भी ग्रीष्मावकाश घोषित किया गया है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Wed, 14 Apr 2021 12:33 AM (IST) Updated:Wed, 14 Apr 2021 07:12 AM (IST)
कोरोना महामारी के चलते एमपी के सरकारी स्कूलों में 15 अप्रैल से 13 जून तक रहेगा ग्रीष्मकालीन अवकाश
प्रदेश के सभी सरकारी एवं निजी छात्रावास तत्काल प्रभाव से बंद।

भोपाल, राज्य ब्यूरो। कोरोना महामारी के कारण मध्यप्रदेश के पहली से आठवीं तक के सरकारी और अनुदान प्राप्त स्कूलों में 15 अप्रैल से 13 जून तक ग्रीष्मावकाश रहेगा। इन स्कूलों में पदस्थ सरकारी शिक्षकों के लिए भी ग्रीष्मावकाश घोषित किया गया है। इस संबंध में मप्र स्कूल शिक्षा विभाग ने मंगलवार को आदेश जारी कर दिया है।

ऑनलाइन शिक्षण कार्य जारी रहेगा

मप्र स्कूल शिक्षा विभाग की उपसचिव अनुभा श्रीवास्तव ने सभी जिला कलेक्टरों और जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि सभी निजी स्कूलों में पहली से आठवीं तक की कक्षाओं का संचालन 30 अप्रैल तक बंद रखें। इनका ऑनलाइन शिक्षण कार्य जारी रहेगा।

प्रदेश के सभी सरकारी एवं निजी छात्रावास तत्काल प्रभाव से बंद

प्रदेश के सभी सरकारी एवं निजी छात्रावासों को भी तत्काल प्रभाव से बंद किया जाए। कोरोना महामारी की परिस्थिति और विद्यार्थियों की सुरक्षा एवं स्वास्थ्य को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है।

मध्यप्रदेश में कोरोना के सक्रिय मरीजों की संख्या बढ़ने से अस्पतालों में नहीं मिल रहा बिस्तर 

मध्यप्रदेश में कोरोना मरीजों की संख्या एक दिन में ढाई हजार बढ़ गई है। सोमवार को पूरे प्रदेश 8,998 नए मरीज मिले हैं। 46526 सैंपलों की जांच में इतने मरीज मिले हैं। इस तरह संक्रमण दर 19 फीसद रही। रविवार को 6,489 मरीज मिले थे, जबकि संक्रमण दर 17 फीसद रही।

अस्पतालों में नहीं मिल रहा बिस्तर 

प्रदेश के विभिन्न जिलों में 40 मरीजों की मौत सोमवार को हुई है। इसके साथ ही सक्रिय मरीजों की संख्या प्रदेश में 43,539 हो गई है। इनमें करीब 60 फीसद मरीज होम आइसोलेशन में हैं। बाकी का निजी और सरकारी अस्पतालों में इलाज चल रहा है। सक्रिय मरीजों की संख्या बढ़ने की वजह से न तो मरीजों को अस्पतालों में बिस्तर मिल पा रहा है और न ही होम आइसोलेशन वाले मरीजों की देखभाल हो पा रही है।

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