सफल सिविल सेवा अभ्यर्थियों को पसंद के कैडर चुनने का अधिकार नहीं, सुप्रीम कोर्ट की तीखी टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- पहले देश में कहीं भी सेवा करने की हामी भरते हैं बाद में गृह राज्य का कैडर पाने के लिए संघर्ष करते हैं। सिविल सर्विसेज परीक्षा के सफल अभ्यर्थियों को अपनी पसंद या अपने गृह राज्य के कैडर के आवंटन का कोई अधिकार नहीं है।

By Shashank PandeyEdited By: Publish:Sat, 23 Oct 2021 08:03 AM (IST) Updated:Sat, 23 Oct 2021 08:03 AM (IST)
सफल सिविल सेवा अभ्यर्थियों को पसंद के कैडर चुनने का अधिकार नहीं, सुप्रीम कोर्ट की तीखी टिप्पणी
सफल UPSC अभ्यर्थियों को पसंद के कैडर का अधिकार नहीं।(फोटो: फाइल)

नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की सिविल सर्विसेज परीक्षा के सफल अभ्यर्थियों को अपनी पसंद या अपने गृह राज्य के कैडर के आवंटन का कोई अधिकार नहीं है। शीर्ष कोर्ट ने यह भी कहा कि चयन से पहले वे खुली आंखों से देश में कहीं भी सेवा करने की हामी भरते हैं और बाद में गृह राज्य का कैडर पाने के लिए संघर्ष करते हैं।

जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस वी. रामासुब्रमणियन की पीठ ने केरल हाई कोर्ट के निर्णय को खारिज करते हुए अपने फैसले में मंडल केस के ऐतिहासिक निर्णय का भी हवाला दिया। पीठ ने कहा कि अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) या अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के अभ्यर्थी को यूपीएससी अगर मेरिट के आधार पर सामान्य वर्ग के तहत चयन के योग्य पाता है तो उसे अनारक्षित वर्ग की रिक्तियों पर नियुक्त किया जाएगा। बाद में वह कैडर या अपनी पसंद की जगह पर नियुक्ति के लिए आरक्षण का सहारा नहीं ले सकता।शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी केरल हाई कोर्ट के एक फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार की अपील पर की।

हाई कोर्ट ने अपने फैसले में हिमाचल प्रदेश में पदस्थ की गई एक मुस्लिम महिला आइएएस ए. शाइनामोल को उनके गृह राज्य केरल का कैडर प्रदान करने का आदेश दिया था। भारतीय प्रशासनिक सेवा (भर्ती) नियमों का हवाला देते हुए पीठ ने कहा कि कैडर आवंटन के लिए प्रक्रिया एक यांत्रिक प्रक्रिया है और नियमों के मामले में इसमें कोई अपवाद नहीं है। शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्य के पास भी अपनी मर्जी से कैडर आवंटन का कोई अधिकार नहीं है। इसलिए ट्रिब्यूनल या हाई कोर्ट को कैडर आवंटन में सर्कुलर के कथित उल्लंघन की दलील के आधार पर हस्तक्षेप करने से बचना चाहिए था।

साथ ही शीर्ष अदालत ने कहा कि कैडर आवंटन में अभ्यर्थी के गृह राज्य से परामर्श की कोई जरूरत नहीं है।इस मामले में शाइनामोल को यूपीएससी की 2006 की सिविल सेवा परीक्षा में 20वीं रैंक प्राप्त हुई थी और मुस्लिम ओबीसी वर्ग से होने के बावजूद उनका चयन सामान्य श्रेणी के तहत हुआ था। केंद्र द्वारा हिमाचल प्रदेश सरकार से 13 नवंबर, 2007 को सहमति प्रदान करने के बाद उन्हें हिमाचल प्रदेश कैडर आवंटित किया गया था। इसे उन्होंने पहले केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) में चुनौती दी थी जिसने उन्हें महाराष्ट्र कैडर आवंटित करने का आदेश दिया था। इस आदेश को शाइनामोल के साथ-साथ केंद्र सरकार ने भी केरल हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।

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