पंजाब में पिछले साल पराली जलाने की घटनाएं 44.5 फीसद बढ़ीं : केंद्र सरकार
मंत्रालय ने बताया कि हरियाणा में पिछले साल पराली जलाने की 5000 घटनाएं देखने को मिलीं जबकि 2019 में इस तरह की 6652 घटनाएं सामने आई थीं इससे पता चलता है कि मामलों में 25 प्रतिशत की कमी हुई।
नई दिल्ली, प्रेट्र। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वर्ष 2020 में पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में 44.5 फीसद की वृद्धि देखी गई, जबकि इसे रोकने के उपाय करने के लिए राज्य को कुल कोष का 46 फीसद हिस्सा केंद्र से मिला। पर्यावरण एवं वन मंत्रालय (एमओईएफ) ने हलफनामा दायर कर शीर्ष अदालत को सूचित किया कि पंजाब में 2020 में पराली जलाने की 76,590 घटनाएं सामने आईं, जो साल 2019 में इस तरह की 52,991 घटनाओं की तुलना में 44.5 फीसद अधिक हैं।
मंत्रालय ने यह भी बताया है कि हरियाणा में पिछले साल पराली जलाने की 5,000 घटनाएं देखने को मिलीं, जबकि 2019 में इस तरह की 6,652 घटनाएं सामने आई थीं, इससे पता चलता है कि मामलों में 25 प्रतिशत की कमी हुई।
मंत्रालय ने कहा कि वायु प्रदूषण की समस्या के समाधान और फसल अवशेष यानी पराली के प्रबंधन के लिए रियायती मशीनों को लेकर कृषि सहयोग और किसान कल्याण विभाग ने पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में 2018-19 से 2020-21 की अवधि में केंद्र की एक योजना को लागू किया। इस योजना के लिए शत-प्रतिशत धन केंद्र ने दिया।
केंद्र ने इस योजना के लिए कुल 1726.67 करोड़ रुपये आवंटित किया। इनमें से पंजाब को 793.18 करोड़ रुपये, हरियाणा को 499.90 करोड़ रुपये, उत्तर प्रदेश को 374.08 करोड़ रुपये, दिल्ली को 4.52 करोड़ रुपये और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद तथा अन्य केंद्रीय एजेंसियों को 54.99 करोड़ रुपये आवंटित किए गए।
शीर्ष अदालत को बताया गया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर)और आसपास के इलाके में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए एक आयोग की स्थापना को लेकर एक अध्यादेश जारी किया गया था। मंत्रालय ने अदालत को बताया कि आयोग ने सल्फर ऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और अन्य प्रदूषणकारी सूक्ष्म तत्वों को नियंत्रित करने के लिए एनसीआर और आसपास के इलाके में स्थित सभी ताप बिजली संयंत्रों से फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन (एफजीडी) यानी दहन गैस निर्गधकीकरण प्रणाली लगाने और अन्य व्यवस्था का कड़ाई से पालन करने को कहा है। एफजीडी एक मिश्रित प्रौद्योगिकी है, जो कोयला से चलने वाले बिजली संयंत्रों से निकलने वाली गैसों से हानिकारक सल्फर डाइऑक्साइड को हटाने के लिए उपयोग में लाई जातीं है।