Delta Plus Variant: डेल्टा प्लस के खतरे का अंदाजा लगाना होगा मुश्किल, चिंतित हुआ सरकारी अमला, पूरी दुनिया में 205 केस

पूरी दुनिया में डेल्टा प्लस के अभी 205 केस हैं जिनमें भारत में 40 मामले हैं। एक दिन पहले ही भारत में यह संख्या 22 थी। कोरोना के वैरिएंट की पहचान की पुख्ता प्रणाली होने के बावजूद उससे होने वाले खतरे का पता लगाना बड़ी चुनौती है।

By Ramesh MishraEdited By: Publish:Wed, 23 Jun 2021 09:01 PM (IST) Updated:Thu, 24 Jun 2021 07:06 AM (IST)
Delta Plus Variant: डेल्टा प्लस के खतरे का अंदाजा लगाना होगा मुश्किल, चिंतित हुआ सरकारी अमला, पूरी दुनिया में 205 केस
डेल्टा प्लस के खतरे का अंदाजा लगाना होगा मुश्किल। फाइल फोटो।

नई दिल्ली, नीलू रंजन। कोरोना वायरस के डेल्टा वैरिएंट ने पहले ही भारत समेत दुनिया के कई तबाही मचाई थी कि अब इसका डेल्टा प्लस वैरिएंट भी सामने आ गया है। इसके मामले तो अभी ज्यादा सामने नहीं आए हैं, लेकिन खतरे की आशंका ने सरकारी अमले को चिंता में डाल दिया है। पूरी दुनिया में डेल्टा प्लस वैरिएंट के अभी 205 केस मिले हैं, जिनमें भारत में पाए गए 40 मामले भी शामिल हैं। एक दिन पहले ही भारत में यह संख्या 22 थी। कोरोना वायरस के वैरिएंट की पहचान की पुख्ता प्रणाली होने के बावजूद उससे होने वाले खतरे का पता लगाना बड़ी चुनौती है। किसी वैरिएंट के प्रभाव का पता लगाने में तीन से चार महीने का समय लग जाता है, तब तक वह खतरनाक रूप धारण कर चुका होता है।

नए म्यूटेशन की पहचान नए वैरिएंट के रूप में

नए म्यूटेशन की पहचान नए वैरिएंट के रूप में होती है। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पहली बार ब्रिटेन में दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार एक नए वैरिएंट का पता लगने के बाद भारत में 10 प्रयोगशालाओं को मिलाकर इंसाकाग (इंडियन सार्स कोव-2 जिनोमिक्स कंसोर्टियम) नाम से संगठन खड़ा किया गया। अप्रैल में इसमें और 18 प्रयोगशालाओं को जोड़ा गया। देश के हर जिले से कोरोना संक्रमित पाए जाने वाले मरीजों के सैंपल इन प्रयोगशालाओं में भेजे जाते हैं, जहां जिनोम सिक्वेसिंग के जरिए वायरस और उसमें होने वाले म्यूटेशन का पता लगाया जाता है।

भारत में पहली बार मिले चार वैरिएंट

इंसाकाग की रिपोर्ट को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय राज्यों के साथ साझा करता है और उन्हें संक्रमण रोकने के लिए उचित कदम उठाने की सलाह देता है। इसी तरह से पूरी दुनिया में कोरोना वायरस के वैरिएंट की रियल टाइम जानकारी ग्लोबल इनीशिएटिव आन शेयरिंग ऑल इनफ्लूएंजा डाटा (जीआइएसएआइडी) प्लेटफार्म पर शेयर की जाती है। इस प्लेटफार्म पर पूरी दुनिया में कोरोना वायरस के 20 लाख से अधिक वैरिएंट की जानकारी उपलब्ध है। लेकिन उनमें से दक्षिण अफ्रीका, ब्रिटेन, ब्राजील और भारत में पहली बार मिले चार वैरिएंट को ही वैरिएंट ऑफ कंसर्न करार दिया गया है। वैरिएंट की पहचान के बावजूद उससे खतरे के आकलन में आने वाली समस्या के बारे में पूछे जाने पर स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा कि ब्रिटेन के अल्फा, दक्षिण अफ्रीका के बीटा और ब्राजील के गामा वैरिएंट की पहचान पिछले साल सितंबर-अक्टूबर में ही हो गई थी। लेकिन इनसे खतरे का पता दिसंबर जनवरी में उस समय लगा, जबकि वहां संक्रमण लहर का रूप धारण कर चुका था।

डेल्टा वैरिएंट की पहचान भी पिछले साल दिसंबर में

वहीं भारत में डेल्टा वैरिएंट की पहचान भी पिछले साल दिसंबर में हो चुकी थी, जो अप्रैल-मई में दूसरी लहर का कारण बना। उन्होंने कहा कि वैरिएंट की पहचान और रिपोर्टिंग की सटीक प्रणाली तैयार है, लेकिन कौन सा वैरिएंट खतरनाक रूप धारण कर लेगा यह कहना मुश्किल है। डेल्टा प्लस के संक्रामक होने का खतरा ताजा डेल्टा प्लस वैरिएंट के मामले में भी यही साबित हो रहा है।

मंगलवार को 22 और बुधवार को 40 मामले सामने आए

अप्रैल में मिलने के बाद भी ढाई महीने तक इस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया, लेकिन मंगलवार को 22 और बुधवार को 40 मामले सामने आने के बाद यह चिंता का सबब इसीलिए बन गया कि इसमें वायरस के स्पाइक प्रोटीन के रिसेप्टर बाइडिंग डोमेन में म्यूटेशन हुआ है और वैज्ञानिकों का मानना है कि इससे वायरस से मानव कोशिका से जुड़ने की क्षमता बढ़ गई है। जाहिर है इससे संक्रमण ज्यादा तेजी से फैल सकता है, लेकिन इसकी पुष्टि तभी होगी, जब यह तेजी से फैलने लगेगा। फिलहाल यह नौ देशों तक सीमित है और केवल 205 मामले मिले हैं। भारत में भी इस वैरियंट के मामले सिर्फ महाराष्ट्र, केरल और मध्य प्रदेश में मिले हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन में डेल्टा की संक्रामता को देखते हुए उसके सभी वैरिएंट को वैरिएंट ऑफ कंसर्न घोषित कर दिया है।

chat bot
आपका साथी