मध्य प्रदेश : बच्चों से कहानी लिखवाई, पेंटिंग करवाई और छूट गई मोबाइल की लत

मोबाइल की लत छुड़वाने के लिए बाल कल्याण समिति ने बच्चों को उनकी पसंद का टास्क दिया। इसका सकारात्मक रिजल्ट सामने आया और बच्चों ने मोबाइल से दूरी बना ली।

By TaniskEdited By: Publish:Mon, 20 May 2019 08:35 PM (IST) Updated:Mon, 20 May 2019 08:35 PM (IST)
मध्य प्रदेश : बच्चों से कहानी लिखवाई, पेंटिंग करवाई और छूट गई मोबाइल की लत
मध्य प्रदेश : बच्चों से कहानी लिखवाई, पेंटिंग करवाई और छूट गई मोबाइल की लत

अंजली राय, जेएनएन। बच्चों में मोबाइल की लत छुड़वाने के लिए मध्य प्रदेश के भोपाल की बाल कल्याण समिति को अपने प्रयासों में सफलता मिली है। बच्चों के दिनभर मोबाइल पर गेम खेलने और चैटिंग से परेशान अभिभावक बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के पास पहुंच रहे हैं। अभिभावकों नेअपने बच्चों को चाइल्ड लाइन में रखकर उनकी मोबाइल की लत को छुड़ाने की गुहार लगाई थी। सीडब्ल्यूसी ने ऐसे बच्चों को कुछ दिन चाइल्ड लाइन में रखा और उनसे कभी कहानी लिखवाई तो कभी पेंटिंग करवाई। इसके अलावा और भी ऐसे काम करवाए गए, जो बच्चों को पसंद थे। इसका सकारात्मक रिजल्ट सामने आया और बच्चों ने मोबाइल से दूरी बना ली।

पांच महीने में 20 बच्चे घर से भागे
बाल कल्याण समिति के पास पिछले पांच महीने में 20 से अधिक ऐसे मामले आए, जिसमें मोबाइल नहीं मिलने से नाराज बच्चे घर से भाग गए थे। पिछले महीने ही एक छात्रा से उसकी मां ने मोबाइल छुड़ाया था तो उसने बिल्डिंग से कूदकर आत्महत्या कर ली थी।

केस- 1
रविशंकर नगर निवासी दसवीं का छात्र मोबाइल एडिक्ट हो गया था। अभिभावक उसे पढ़ने को कहते, लेकिन वह मोबाइल पर ही लगा रहता था। अभिभावक की डांट से बचने के लिए उसने किताब को काटकर मोबाइल को उसमें सेट कर दिया। जब छमाही परीक्षा में फेल हुआ तो मामला सामने आया। अभिभावक उसे सीडब्ल्यूसी लेकर आए। समिति ने उसे चाइल्ड लाइन में पांच दिन रखकर सक्सेस स्टोरी लिखवाई। तब उसकी आदत छूटी और दसवीं बोर्ड में उसके 70 फीसदी से अधिक अंक आए।

केस- 2
बैरागढ़ निवासी 11वीं का छात्र मोबाइल एडिक्ट होकर भोजन और पढ़ाई करना ही छोड़ दिया था। समिति ने उसे पांच दिन तक चाइल्ड लाइन में रखकर वहां की कार्यप्रणाली को समझने के लिए कहा। हर रोज उससे पांच पेज लिखवाए गए। छात्र को समझ में आ गया कि पढ़ाई और घर के सिवाय और कुछ महत्वपूर्ण नहीं है।

केस- 3
लखनऊ से भागकर भोपाल पहुंचे 16 वर्षीय छात्र की काउंसिलिंग में पता चला कि वह पबजी गेम खेलने का एडिक्ट हो गया था और दोस्त के कहने पर टास्क पूरा करने के लिए घर से भाग गया। समिति ने उससे तीन दिन तक कहानियां लिखवाई और प्रोत्साहित करने वाली किताबें पढ़ने को दी। इसके बाद छात्र को लखनऊ समिति को सौंप दिया गया।

केस-4
कोपरगांव से भागकर आया 13 वर्षीय बालक भोपाल रेलवे स्टेशन पर चाइल्ड लाइन को मिला था। उसने बताया कि वह अभिभावक के साथ जाना नहीं चाहता, क्योंकि वे उसे मोबाइल में गेम नहीं खेलने देते। अभिभावकों ने बताया कि बेटा 8वीं का छात्र है और छमाही परीक्षा में उसने उत्तरपुस्तिका में कुछ नहीं लिखा था। जब बेटे को मोबाइल पर गेम नहीं खेलने के लिए डांटा तो वह घर छोड़कर भाग गया। छात्र को उसके पसंद की कहानियों की किताबें पढ़ने के लिए दी गई और पेंटिंग कराई गई। इससे उसकी मोबाइल की लत छूट गई।

मोबाइल एडिक्शन के केस अधिक
सीडब्ल्यूसी के सदस्य कृपाशंकर चौबे ने कहा कि आजकल समिति के पास बच्चों के मोबाइल एडिक्शन के मामले अधिक आ रहे हैं। बच्चों में मोबाइल की लत छुड़वाने के लिए चाइल्ड लाइन में चार से पांच दिन रखकर उनसे खुद की सक्सेस स्टोरी लिखवाई जाती है या ऐसे काम करवाए जाते हैं जो उन्हें पसंद हों।

साइकोलॉजिस्ट डॉ. राहुल शर्मा ने कहा कि आजकल बच्चों का गैजेट्स के प्रति लगाव बढ़ता जा रहा है। यह एक प्रकार की मानसिक बीमारी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इसे मानसिक बीमारी माना है। इससे बचाने के लिए अभिभावकों को क्वालिटी टाइम देना होगा।

काउंसलर्स बोले-ऐसे छुड़ाएं मोबाइल की लत

- बच्चों को स्टोरी लिखने के लिए दें।

- उन्हें पेंटिंग या कहानियों की किताबें पढ़ने के लिए प्रेरित करें।

- आउटडोर गेम्स में रूचि बढ़ाएं, खुद भी साथ खेलें।

- मोबाइल या टीवी ज्यादा देखने से होने वाले नुकसान के बारे में बताएं।

- बच्चों को स्पो‌र्ट्स क्लब ज्वॉइन कराएं।

- उन्हें कभी भी अकेला नहीं छोड़े।

- बच्चों को मैदानी खेलों से जोड़ें।

- शतरंज या लूडो जैसे गेम खिलाएं।

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप

chat bot
आपका साथी